महाराष्ट्र बाढ़ः जमीअत उलमा-ए-हिंद के कार्यकर्ताओं ने घरों में जमा कीचड़ को किया साफ

नई दिल्लीः जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देशन में जमीअत उलमा-ए-हिंद के कार्यकर्ता मौलाना नदीम सिद्दीकी जमीअत महाराष्ट्र अध्यक्ष और संयोजक राहत समिति मोहम्मद रफीक मोहम्मद शफी की देखरेख में महाराष्ट्र में बाढ़ पीड़ितों की लगातार मदद कर रहे हैं। इस के अलावा एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल स्थिति की समीक्षा कर रहा है ताकि उस आधार पर पुनर्वास किया जा सके।

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24 जुलाई से 30 जुलाई के बीच  जमीअत के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में जमीयत प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया. प्रतिनिधिमंडल  ने रतनागिरी, सांगली, सतारा, कोल्हापुर समेत कई बाढ़ प्रभावित छेत्रो का दौरा किया, सबसे ज़ियादा बाद प्रभावित छेत्र चिपलुन है  जो 13/वर्ग किलोमीटर में फैला है इस की जनसंख्या दो लाख है। 32/घंटे तक 15/फीट पानी में डूबा शहर में काफी तबाही मची है। उन्होंने बताया कि स्थानीय मौलवियों व अधिकारियों की देखरेख में बाहरी सेवा दल राशन पानी वितरण और सफाई व में लगे हैं, जमीअत उलमा के मौलाना इलियास बगदादी, मौलाना उमर धामस्कर, मौलाना सादिक, मौलाना सईद आदि यहां  राहत कार्य में जुटे हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली और सतारा जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों का भी दौरा किया।अंगरी, रुई, चंदूर और इचल करंजी आदि  में अभी भी पानी जमा है, हजारों मकानात, दुकानें और कारखाने डूबे  हुए हैं। इचल करंजी में सिकंदर दरगाह, मखदूम दरगाह, मदीना मस्जिद, आलमगीर मस्जिद, सितारा मस्जिद के आसपास का पूरा इलाका पानी में डूबा है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने मीराज का निरीक्षण किया, जहां विभिन्न कॉलोनियों और मोहल्लों में पानी घुस गया था। सांगली जिला में लगभग 8000 घर और 6000 दुकानें, कारखाने और गैरेज बाढ़ से प्रभावित हैं।  जमीअत के कार्येकर्ता द्वारा यहाँ टैंकर लगा कर  400 से अधिक दुकानों और घरों की सफाई की जा चुकी है। पूरा क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुआ है, लगभग 15/15 फीट पानी भर गया था। कुछ क्षेत्रों में अभी भी बाढ़ है।

हाफिज मोहम्मद अमीन के साथ प्रतिनिधिमंडल ने सितार जिले की पाटन तहसील के मोरगरी गांव का दौरा किया. मोरगरी गांव से सटा गांव अंबे घर है, हां  5/परिवार पूरी तरह ख़त्म हो गया है, उनका एक भी सदस्य नहीं बचा, बाक़ी चार परिवारों में केवल वही लोग हैं जो उस समय वहां नहीं थे, वहां के लोगों ने जमीअत  प्रतिनिधिमंडल से अनुरोध किया कि अब हमारे पास रहने के लिए कोई घर नहीं है और कोई सामान नहीं बचा है, आप हमारी मदद करें, जमीअत ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया।