लोक सभा में अमरोहा सांसद कुँवर दानिश अली ने नियम 193 के अधीन कोविड महामारी पर चर्चा के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग करते हुए कहा कि इससे दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को भी फ़ायदा होगा। दक्षिण पूर्वी दिल्ली में एक भी सरकारी अस्पताल/ मेडिकल कॉलेज नहीं है और यह क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नज़दीक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में मेडिकल कॉलेज की मांग बहुत पुरानी है और अगर इसे पूरा किया जाता है तो दक्षिण पूर्वी दिल्ली के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को भी फ़ायदा होगा।
उन्होंने कोरोना पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मैं सबसे पहले उन लोगों को जिन्होंने कोरोनाकाल में अपनी जान गंवाई, ऐसे हमारे कई साथी, इस सदन के साथी, केंद्र के मंत्री, दोनों सदनों के हमारे साथी, मेरे लोकसभा क्षेत्र के विधायक और मंत्री, ऐसे कई उत्तर प्रदेश के विधायक एवं मंत्री, देश के विभिन्न जनप्रतिनिधि और खास तौर से फ्रंटलाइन वर्कर्स, जिन्होंने अपनी जान गंवा कर कोरोनाकाल में अपनी सेवाएं दी, मैं उन सबको इस सदन की तरफ श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
बसपा सांसद ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जो पहले शिपिंग मिनिस्टर थे, मैं उनका भी धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने शिपिंग मिनिस्टर रहते हुए ऑक्सीजन सप्लाई में अहम् भूमिका निभाई। उसके लिए मैं उनके काम की सराहना करता हूं। सब जानते हैं कि कोरोना में किस तरीके की स्थितियां थीं। मैं स्वयं कोविड वार्ड में गया था। जब मैं कोविड वार्ड में जा रहा था तो मेरे जिला प्रशासन के लोग मुझसे कह रहे थे कि, अरे आप क्या कर रहे हैं। हमने उनसे कहा कि हम इनका हौसला बढ़ाने जा रहे हैं।
दानिश अली ने कहा कि पूरे देश ने देखा कि किस तरीके से हम लोगों ने लापरवाही बरती। छोटे से राजनीतिक फायदे के लिए लोगों की जान को जोखिम में डाला। पूरे देश ने देखा कि जब बंगाल के अंदर चुनाव हो रहा था तो इस देश के माननीय प्रधान मंत्री जी जाकर रैलियां कर रहे थे।
यूपी पंचायत चुनाव पर क्या बोले दानिश
दानिश अली ने यूपी चुनाव पर बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर पंचायत चुनाव कराया गया। सेकेंड वेव के पीक में पंचायत चुनाव हुआ। सैंकड़ों टीचर्स की ड्यूटी लगाई गई। उनके परिवार वालों ने उन्हें खो दिया। अभी उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि जो ड्यूटी में मरे हैं, जिनकी जान गई है, उनको कंपनसेशन दिया जाएगा। लेकिन, जो सिर्फ ऑन ड्यूटी थे और जो 8 घंटे या 12 घंटे की ड्यूटी पर थे। लेकिन, जो वहां से कोविड लेकर गए और दो दिन बाद अपने घर पर जिनकी डेथ हुई या एक दिन बाद किसी अस्पताल में डेथ हुई तो उनको कंपनसेशन नहीं दिया जा रहा है।
दानिश ने कहा कि मैं आपसे यही कहना चाहता हूं कि जिस चीज को टाला जा सकता था उसको अवॉयड नहीं किया गया लखनऊ के अन्दर किस तरह से चिताएं फूंकी जा रही थीं। मीडिया ने दिखाया तो पता चला कि अगले दिन वहां शीट लगाकर बाउंड्री वाल खड़ी कर दी गई। वहां टिन की शेड लगा दी गई ताकि मीडिया न देख सके। गंगा के किनारे किस तरीके से लाशों की बेअदबी हो रही थी, मैं वह अल्फाज़ यूज नहीं करना चाहता, जानवर, कुत्ते उन लाशों को नोच रहे थे। ऐसे भयावह मंज़र की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। फिर भी, हम अपना सीना ठोक रहे हैं कि हमने फतह हासिल कर ली है। हमने कोरोना पर जीत हासिल कर ली है।
देश के भविष्य के साथ खिलवाड़
दानिश ने कहा कि सबसे ज्यादा अगर किसी का नुकसान हुआ है तो इस देश का जो भविष्य है, जो बच्चे हैं और जो गरीब हैं, उनका हुआ है। इस देश में डिजिटल डिवाइड हुआ है। इस कोरोनाकाल में ऑनलाइन क्लासेज हो रही हैं। आप जानते हैं, हम जानते हैं कि गांव-देहात के अंदर कितनी जगह इंटरनेट का कनेक्शन काम करता है। कितने परिवारों के पास लैपटॉप, आईपैड या मोबाइल फोन है? उन गरीबों का कोई हाल पूछने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर कहीं किसी स्टेट गवर्नमेंट ने कह भी दिया कि जब तक कोविड है, तब तक स्कूल को फीस नहीं लेनी है तो स्कूल की यूनियन और स्कूल की एशोसिएशन्स इकट्ठा होकर कोर्ट से ऑर्डर ले आई कि साहब फीस तो फीस आपको डेवलपमेंट चार्जेज भी देने पड़ेंगे। लेकिन, इस देश का गरीब, इस देश का दलित और इस देश का पिछड़ा, उसकी पैरवी कोर्ट के अंदर जाकर कौन करेगा? सरकार के वकीलों ने उनकी पैरवी नहीं की। यहां पर पीएम केयर्स फंड की बात हुई है। मैंने भी पीएम केयर्स फंड में अपनी एक महीने की सैलरी पहले ही दिन दी थी। उसमें सीएसआर फंड दिया गया। उसकी अकाउंटिबिलिटी होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता है, वह सरकार जाने। अभी यहां पर डंका पीटा जा रहा है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना बढ़ गया है।
दानिश अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन को अमरोहा के डिस्ट्रिक्ट अस्पताल के सीएमएस ने 11 अक्टूबर, 2021 को एक लेटर लिखा था कि अस्पताल के अंदर एक साल से इंसुलिन तक मौजूद नहीं है। दवाइयों की पूरी लिस्ट है, तीन लेटर्स लिखे गए हैं, 12 अक्टूबर, 2020, 5 फरवरी, 2021 और 11 अक्टूबर, 2021 को लेटर्स लिखे गए हैं, जिला अस्पताल में दवाइयां तक नहीं हैं।
वेंटिलेटर्स आ गए, ऑक्सीजन प्लान्ट्स लग गए, लेकिन उनको चलाने के लिए स्किल्ड टेक्निशियन स्टॉफ की अति आवश्यकता है, अस्पतालों के अंदर डॉक्टर्स की अति आवश्यकता है। मैं एक और बात कहना चाहूंगा, क्योंकि मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आता हूं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली मिलाजुला है। मैं आपको बताऊं कि साउथ ईस्ट दिल्ली में बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पताल्स हैं। अपोलो, एस्कार्ट्स, फॉर्टिस और दुनिया भर के अस्पताल्स हैं, लेकिन वहां पर कोई सरकारी अस्पताल नहीं है।
जामिया के लिए मेडिकल काॅलेज की मांग
दानिश ने कहा कि मैं यह गुजारिश करूंगा कि वेस्टर्न यूपी, नोएडा और दिल्ली के इस इलाके और इसकी आबादी को ध्यान में रखते हुए, जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए एक मेडिकल कॉलेज की बहुत पुरानी डिमांड है, आप यहां पर जामिया मिलिया इस्लामिया को एक मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करने का वादा कीजिए। मैंने इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी को भी चिट्ठी लिखी है। मैं यह मांग करता हूं कि जामिया मिलिया इस्लामिया को एक मेडिकल कॉलेज दिया जाए। आप यह भी बताइए कि बूस्टर डोज कब लगेगी और बच्चों की वैक्सीन कब स्टार्ट होगी?
उन्होंने कहा कि आज के स्वास्थ्य मंत्री जो पहले शिपिंग मिनिस्टर थे, मैं उनका भी धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने शिपिंग मिनिस्टर रहते हुए ऑक्सीजन सप्लाई में अहम् भूमिका निभाई। उसके लिए मैं उनको एप्रिशिएट करता हूं। सब जानते हैं कि कोरोना में किस तरीके की स्थितियां थीं। मैं स्वयं कोविड वार्ड में गया था। जब मैं कोविड वार्ड में जा रहा था तो मेरे जिला प्रशासन के लोग मुझसे कह रहे थे कि, अरे आप क्या कर रहे हैं। हमने उनसे कहा कि हम इनका हौसला बढ़ाने जा रहे हैं।
राजनीतिक फायदे के लिए लोगों की जान से खिलवाड़
दानिश अली ने कहा कि पूरे देश ने देखा कि किस तरीके से हम लोगों ने लापरवाही बरती। छोटे से राजनीतिक फायदे के लिए लोगों की जान को जोखिम में डाला। पूरे देश ने देखा कि जब बंगाल के अंदर चुनाव हो रहा था तो इस देश के माननीय प्रधान मंत्री जी जाकर रैलियां कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के अंदर पंचायत चुनाव कराया गया। सेकेंड वेव की पीक में पंचायत चुनाव हुआ। सैंकड़ों टीचर्स की ड्यूटी लगाई गई। उनके परिवार वालों ने उन्हें खो दिया। अभी उत्तर प्रदेश सरकार ने रिकॉग्नाइज किया है कि जो ड्यूटी में मरे हैं, जिनकी जान गई है, उनको कंपनसेशन दिया जाएगा। लेकिन, जो सिर्फ ऑन ड्यूटी थे और जो 8 घंटे या 12 घंटे की ड्यूटी पर थे। लेकिन, जो वहां से कोविड लेकर गए और दो दिन बाद अपने घर पर जिनकी डेथ हुई या एक दिन बाद किसी अस्पताल में डेथ हुई तो उनको कंपनसेशन नहीं दिया जा रहा है।
दानिश ने कहा, मैं कहना चाहता हूं कि जिस चीज को अवॉयड किया जा सकता था उसको अवॉयड नहीं किया गया लखनऊ के अन्दर किस तरह से चिताएं फूंकी जा रही थीं। मीडिया ने दिखाया तो पता चला कि अगले दिन वहां शीट लगाकर बाउंड्री वाल खड़ी कर दी गई। वहां टिन की शेड लगा दी गई ताकि मीडिया न देख सके। गंगा के किनारे किस तरीके से लाशों की बेअदबी हो रही थी, मैं वह अल्फाज़ यूज नहीं करना चाहता, जानवर, कुत्ते उन लाशों को नोच रहे थे। ऐसा भयावह सीन कोई इमैजिन नहीं कर सकता है। फिर भी, हम अपना सीना ठोक रहे हैं कि हमने फतह हासिल कर ली है। हमने कोरोना पर जीत हासिल कर ली है।
दानिश ने कहा कि, मैं कहना चाहता हूं कि इसमें सबसे ज्यादा अगर किसी का नुकसान हुआ है तो इस देश का जो भविष्य है, जो बच्चे हैं और जो गरीब हैं, उनका हुआ है। इस देश में डिजिटल डिवाइड हुआ है। इस कोरोनाकाल में ऑनलाइन क्लासेज हो रही हैं। आप जानते हैं, हम जानते हैं कि गांव-देहात के अंदर कितनी जगह इंटरनेट का कनेक्शन काम करता है। कितने परिवारों के पास लैपटॉप, आईपैड या मोबाइल फोन है? उन गरीबों का कोई हाल पूछने वाला नहीं है।
अगर कहीं किसी स्टेट गवर्नमेंट ने कह भी दिया कि जब तक कोविड है, तब तक स्कूल को फीस नहीं लेनी है तो स्कूल की यूनियन और स्कूल की एशोसिएशन्स इकट्ठा होकर कोर्ट से ऑर्डर ले आई कि साहब फीस तो फीस आपको डेवलपमेंट चार्जेज भी देने पड़ेंगे। लेकिन, इस देश का गरीब, इस देश का दलित और इस देश का पिछड़ा, उसकी पैरवी कोर्ट के अंदर जाकर कौन करेगा? सरकार के वकीलों ने उनकी पैरवी नहीं की। यहां पर पीएम केयर्स फंड की बात हुई है। मैंने भी पीएम केयर्स फंड में अपनी एक महीने की सैलरी पहले ही दिन दी थी। उसमें सीएसआर फंड दिया गया। उसकी अकाउंटिबिलिटी होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता है, वह सरकार जाने। अभी यहां पर डंका पीटा जा रहा है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर इतना बढ़ गया है।
अस्पताल में इंसुलिन तक नहीं
लोकसभा में लैटर दिखाते हुए दानिश ने कहा कि, मैं लेटर दिखाना चाहता हूं। उत्तर प्रदेश शासन को अमरोहा के डिस्ट्रिक्ट अस्पताल के सीएमएस ने 11 अक्टूबर, 2021 को एक लेटर लिखा था कि अस्पताल के अंदर एक साल से इंसुलिन तक मौजूद नहीं है। दवाइयों की पूरी लिस्ट है, तीन लेटर्स लिखे गए हैं, 12 अक्टूबर, 2020, 5 फरवरी, 2021 और 11 अक्टूबर, 2021 को लेटर्स लिखे गए हैं, जिला अस्पताल में दवाइयां तक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि, मैं मंत्री जी से इतना ही कहूंगा कि वेंटिलेटर्स आ गए, ऑक्सीजन प्लान्ट्स लग गए, लेकिन उनको चलाने के लिए स्किल्ड टेक्निशियन स्टॉफ की अति आवश्यकता है, अस्पतालों के अंदर डॉक्टर्स की अति आवश्यकता है। मैं एक और बात कहना चाहूंगा, क्योंकि मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आता हूं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली मिलाजुला है। मैं आपको बताऊं कि साउथ ईस्ट दिल्ली में बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पताल्स हैं। अपोलो, एस्कार्ट्स, फॉर्टिस और दुनिया भर के अस्पताल्स हैं, लेकिन वहां पर कोई सरकारी अस्पताल नहीं है। मैं आपसे यह गुजारिश करूंगा कि वेस्टर्न यूपी, नोएडा और दिल्ली के इस इलाके और इसकी आबादी को ध्यान में रखते हुए, जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए एक मेडिकल कॉलेज की बहुत पुरानी डिमांड है, आप यहां पर जामिया मिलिया इस्लामिया को एक मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करने का वादा कीजिए। मैंने इसके लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी को भी चिट्ठी लिखी है। मैं यह मांग करता हूं कि जामिया मिलिया इस्लामिया को एक मेडिकल कॉलेज दिया जाए। उन्होंने मंत्री महोदय से यह भी पूँछा कि बूस्टर डोज कब लगेगी और बच्चों की वैक्सीन कब आरम्भ होगी?