केजरीवाल सरकार स्कूली बच्चों को ‘कट्टर देशभक्त’ बनाने निकली है. देशभक्त तो फिर भी ठीक था, यह कट्टर देशभक्त क्या होता है? इस दुनिया में कट्टरता कबसे सदगुण होने लगी? केजरीवाल सरकार को ऐसा क्यों लगता है कि बच्चों को देशभक्त बनाने की जरूरत है? क्या इस देश के लोग कम देशभक्त हैं?
अब नेताओं की इतनी औकात हो गई है कि वे जनता को देशभक्ति सिखाएंगे? आप उस किसान, दलित, पिछड़े और आम आदमी को देशभक्ति सिखाएंगे जो अपने बेटों को शहीद होने के लिए भेज देते हैं? आप मजदूरों को देशभक्ति सिखाएंगे जो नमक रोटी खाकर पूरी जिंदगी हाड़ तोड़ता है? आप उस सफाईकर्मी को देशभक्ति सिखाएंगे जो गटर साफ करते हुए जान दे देता है? आप इस देश के करोड़ों मेहनतकश, किसानों, मजदूरों, दलितों, आदिवासियों, युवाओं… 135 करोड़ जनता को देशभक्ति सिखाएंगे? आप उन्हें देशभक्ति सिखाएंगे जिन्होंने इस देश को बनाया है? आपको उनकी देशभक्ति पर संदेह है? वे आपसे कम देशभक्त हैं? शर्म कीजिए!
वह सरकार देशभक्ति क्या सिखाएगी जो आंदोलन और परिवर्तन के नाम पर जनता को धोखा देकर वजूद में आई है? क्रांति और परिवर्तन का वादा किया था और जब सत्ता में आए तो बिजली और पानी मुहैया करा देने की जिम्मेदारी को ही अपना अंतिम लक्ष्य बताकर पेश कर रहे हैं. इसी दिल्ली में एक सुनियोजित दंगा कराया गया और सैकड़ों निर्दोष मुसलमानों को जेलों में ठूंस दिया गया, इनके मुंह में अब तक दही जमा हुआ है. खुद गलत को गलत नहीं कह सकते, ये देशभक्ति सिखाने चले हैं!
आज के टुटपुंजिया नेता जब पैदा भी नहीं हुए थे तब इस देश की आजादी के लिए लाखों लोग शहीद हुए थे. वे ऐसे भारत के लोग थे जहां साक्षरता भी मात्र 12 फीसदी थी. वे ऐसे देश में रहते थे जहां ज्यादातर भुखमरी रहती थी. उनके तन पर कपड़े नहीं होते थे. लेकिन वे अपनी मातृभूमि के लिए लड़े और जीते.
देशभक्ति सिखाने का यह स्टंट न केवल देश का, बल्कि इस देश को बनाने वाले करोड़ों लोगों का अपमान है. ऐसा सोचने वाले इस देश पर कलंक हैं. आपको जनता की निष्ठा, उसकी देशभक्ति, उसकी निर्माण शक्ति और उसके वजूद पर संदेह करने वाली घटिया हरकतें नहीं करनी चाहिए.
नोट: आप मुझसे असहमत हैं तो असहमति दर्ज कराएं. गाली गलौज करके अपनी औकात न दिखाएं.
(लेखक युवा पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)