एयरलाइंस बेच देने के बाद बिना विभाग के मंत्री और कागजी महाराजा सिंधिया यूक्रेन में फंसे छात्रों के लिए रेस्क्यू आपरेशन चलाने रोमानिया गए थे। छात्रों को लाने से पहले ही वहीं मोदी मोड में चालू हो गए- वाह रे हम… वाह रे हम… मोदी जी सबसे महान, हम तुम्हें बचाएंगे, मानो मेरा एहसान… रुको…रुको…
रोमानिया के मेयर ने पकड़कर वहीं छात्रों के सामने ठांस दिया है कि जादा बमको मत, इन बच्चों के लिए खाने और रहने का इंतजाम हमने किया है और यह बात इन्हें पता होनी चाहिए। फर्जी महाराजा ने इंटरनेशनल बेइज्जती में एक नया अध्याय जोड़ा है। इतिहास उनका ऋणी रहेगा। सूद समेत ब्याज चुकाएगा।
सोचिए कि अगर मोदी जी सच में वैश्वित स्तर पर नेहरू या इंदिरा जैसा कुछ कारनामा कर गुजरते तो क्या होता? अगर वे इंदिरा गांधी की तरह सच में अमेरिका के लिए बोल पाते कि ‘हिन्दुस्तान किसी से नहीं डरता, चाहे सातवां बेड़ा हो या सत्तरवां’, तब क्या होता? यह बात इंदिरा गांधी ने अमेरिका के लिए सिर्फ कही नहीं थी। भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में घुसी थी और पाकिस्तान को तोड़कर नया देश बना दिया था। अमेरिका का सातवां बेड़ा चला तो था लेकिन भारत कभी नहीं पहुंचा। मात्र तीन हजार भारतीय जांबाजों ने मिलकर 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवा लिया। पूरब से लेकर पश्चिम तक पाकिस्तान ने फेचकुर फेंक दिया था। अमेरिकी धमकी के जवाब में रूस खड़ा हो गया था।
मोदी जी ऐसा नहीं कर पाए तो ठीक ही हुआ, वरना मोदी जी इंदिरा का शतांश भी कुछ कर ले जाएं तो वे खुद, उनके मंतरी, संतरी, गोदी मीडिया के दलाल और भक्त सब सामूहिक रूप से पागल हो जाएंगे। अच्छा ही है कि मोदी ऐसा कुछ कर नहीं सके। उनकी असफलता देशहित में है कि उनके समर्थक पूरे पागल होने से बच गए।
अभी तो हालत ये है कि नेपाल जैसे बफर स्टेट से लेकर हर छोटे बड़े देश में मोदी जी ने सिर्फ बेइज्जती कराई है। चीन से तो वे बार बार लात खा रहे हैं। भक्त इधर फुलझड़ी का बहिष्कार कर रहे हैं और मोदी जी चीन का रिकॉर्ड स्तर पर व्यापार बढ़ा रहे हैं।
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)