नई दिल्लीः यूपी सरकार ने भारत समाचार और न्यूज 18 पर फतेहपुर में दो बहनों का शव मिलने के मामले पर मां का बयान चलाने पर मुक़दमा दर्ज कर दिया है। यूपी पुलिस का कहना है कि ऐसी खबरे प्रसारित करने से समाज मे भय फैलता है। पत्रकारों पर दर्ज हुए मुकदमे पर सोशल मीडिया पर पत्रकारों का गुस्सा देखने को मिला है। पत्रकार रोहिणी सिंह ने कहा है कि दो साल के लिये हम सभी पत्रकारों को जेल में बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर प्रेस स्वतंत्रता की क्षद्म दलीलें देने वाले योगी जी के राज में मीडियाकर्मियों पर पूरे देश में सबसे ज़्यादा मुक़दमे दर्ज किए गए। लोकभवन के चाटुकारों द्वारा भड़काने के बाद रोज तुग़लकी फ़रमान जारी होते हैं। उत्तरप्रदेश में सच दिखाना और बोलना मना है। उन्होंने कहा कि मीडिया पीड़ित परिवार का पक्ष ना दिखाए तो क्या उस पुलिस का बयान मानें जो रातों रात शव जलाने के लिए जानी जाती है। जिसने बुलंदशहर में एक रेप केस बंद कर दिया और पीड़िता को आत्महत्या करनी पड़ गयी? जिसकी वजह से प्रतापगढ़ में बेटी कुएँ में कूद गयी? उस पुलिस पर भरोसा कर लें?
एक अन्य ट्वीट में रोहिणी ने कहा कि खबरदार: यूपी में अब ‘पीड़ित परिवार’ का पक्ष दिखाना जुर्म है, उससे समाज में भय फैलता है। भारत समाचार और न्यूज 18 पर फतेहपुर में दो बहनों का शव मिलने के मामले पर माँ का बयान चलाने पर मुक़दमा कर दिया गया है। यह खबर राष्ट्रीय चैनलों पर भी चली, लेकिन मुक़दमा सिर्फ स्थानीय चैनल पर।
उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर याचिका दायर करनी चाहिए कि योगी जी आप हमें दो साल के लिए जेल में बंद कर दें। ताकि हम उसके बाद पत्रकारिता कर सकें। योगी जी, जो भी मामले दायरे करें हमारे दो साल की सज़ा में आप खुद ही माइनस कर लें। इसे डेबिट जस्टिस सिस्टम कहा जाएगा। अपने आप खाते से डेबिट होता जाएगा।