नई दिल्लीः जमीयत उलमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का प्रमुख सम्मेलन जमीयत के केंद्रीय कार्यालय नई दिल्ली में स्थित मदनी हाल में हज़रत मौलाना रहमतुल्लाह साहब कश्मीरी सदस्य शूरा दारुल उलूम देवबंद की अध्यक्षता में शुरू हुआ। सम्मेलन में पूर्व कार्यवाही सुनाई गई और अमीर उल हिंद हज़रत मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी के इंतकाल पर शोक प्रस्ताव और श्रद्धांजलि के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के खाली पद को भरने पर विचार विमर्श हुआ। और समस्त सदस्यों की आम सहमति से मौलाना महमूद मदनी को जमीअत उलमा ए हिंद का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जिसकी घोषणा सम्मेलन के अध्यक्ष मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी ने की। इसके बाद आगे की कार्रवाई नवनियुक्त अध्यक्ष की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
मौलाना मदनी के अध्यक्ष चयनित होने के कारण से क्योंकि महासचिव का पद खाली हो गया है इसलिए महासचिव के लिए अस्थाई तौर पर मौलाना हकीमुद्दीन का़समी का नाम तय किया गया। कार्यकारिणी सभा में जमीयत उलमा-ए-हिंद के ज़िला व राज्य चुनाव के लिए जारी गतिविधियों का भी आंकलन किया गया और देश के विभिन्न भागों में चल रहे लॉकडाउन के कारण से इस काम के लिए और अधिक तीन महीने की बढ़ोतरी कर दी गई। इस अवसर पर दोनों जमीयतों के एकीकरण के पूर्व के दृष्टिकोण का पुन समर्थन किया गया।
कार्यकारिणी सभा ने इसके अलावा फिलिस्तीनी समस्या और मस्जिद ए अक्सा की वर्तमान स्थिति पर एक प्रमुख प्रस्ताव में कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की मजलिस ए आमला का यह सम्मेलन बर्बर और आतंकवादी इस्राइली फौज के माध्यम से मस्जिद ए अक्सा के आंगन में नमाज़ियों पर हमला और उसका अपमान करने पर कड़े शब्दों में निंदा-भर्त्सना करता है। वर्तमान में इस्राइल ने जिस तरह मस्जिद ए अक्सा का अपमान किया है और उसके बाद गाजा में हवाई हमले करके 200 से अधिक लोगों का कत्ल किया है जिनमें 70 बच्चे और औरतें शामिल हैं। इससे पूरी दुनिया के मुसलमानों को आघात पहुंचा है। इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र में भारत सरकार ने जो दृष्टिकोण अपनाया है वह संतोषजनक है।
ओस्लो समझौते पर हो अमल
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि वर्तमान स्थिति में जमीयत उलमा-ए-हिंद यह मांग करती है कि गाजा में भयानक युद्ध अपराध के होने पर इस्राइल पर अंतरराष्ट्रीय युद्ध अदालत में मुकदमा चलाया जाए। मस्जिद ए अक्सा की सुरक्षा को विश्वसनीय बनाया जाए, बैतुल मुकद्दस से इस्राइल अपना जबरन कब्जा फौरन हटाए और ओस्लो समझौते के अनुसार अल कुद्स शहर का कंट्रोल फिलिस्तीनियों के हवाले किया जाए। इसके अलावा विश्व जगत एक स्वयंभू स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य को फौरी तौर पर स्थापित करने में सहयोग करे। शरणार्थी फिलिस्तीनी जनता के पुनर्वास और वतन वापसी के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाए। अरब अधिकृत क्षेत्रों को इस्राइल खाली कर दे। इस्राइल को पूर्वी यरूशलम में किसी तरह के नए निर्माण से रोका जाए। क्योंकि यह कदम अंतरराष्ट्रीय समझौते का घोर उल्लंघन है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि गाजा में जिस तरह बड़े पैमाने पर रिहायशी मकानों को ध्वस्त किया गया है उनके पुनर्निर्माण व पुनर्स्थापना के लिए इस्राइल से मांग प्रथम आवश्यकता और न्याय का तकाज़ा है। जंग बंदी की घोषणा के खिलाफ इस्राइल लगातार मस्जिदे अक्सा और आसपास के क्षेत्रों में बेकसूर फिलिस्तीनी नागरिकों पर हिंसा व अत्याचार की कार्यवाही कर रहा है उसे इस बर्बरता वाले कार्यों से रोके रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
याद किए गए क़ारी उस्मान मंसूरपुरी
सम्मेलन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के पूर्व अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी पर एक शोक प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। प्रस्ताव में विशेष रुप से कहा गया कि आपका अध्यक्षता काल (मार्च 2008 से मई 2021) जमीअत उलमा ए हिंद के इतिहास का सुनहरे अध्याय के तौर पर याद रखा जाएगा। इस काल में जमीअत उलमा ए हिंद ने विभिन्न जीवन के क्षेत्रों में अत्यधिक कार्यों को अंजाम दिया। जिनको पूरे विश्व में स्वीकार किया गया। इस सुनहरे अध्याय की एक बड़ी विशेषता यह है कि हमारे प्रिय अध्यक्ष अपने आने वालों के लिए ऐसी मिसाल और नमूना अमल छोड़ गए हैं जिसको मजबूती से पकड़ कर ही अमल करने में जमीअत उलमा ए हिंद की असल शक्ति है। आपकी शख्सियत सही अर्थों में विश्वसनीय, प्रेम, परिश्रम और विश्व विजेता का दर्पण थी।
हज़रत फिदा ए मिल्लत के बाद जमीयत जिन चुनौती भरे हालात से दो चार हुई इन हालात में स्थाईत्व का जादू बरकरार रहना और जमीयत के संविधान को हर हाल में मुकद्दम रखना हज़रत मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी की अजमत और कामयाबी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। दूसरे शब्दों में जमात और मिल्लत का मफाद सबसे ऊपर रखना आपकी जिंदगी का प्रमुख सबक है और हम सभी कारकुन आने पदाधिकारी भविष्य में इस पर स्थापित रहना ही ना सिर्फ हज़रत मौलाना मरहूम के लिए बल्कि हमारे सभी लोगों के लिए असली शोक श्रद्धांजलि है। जमीयत उलमा-ए-हिंद का यह सम्मेलन अपने पूर्व अध्यक्ष की सेवाओं को स्वीकार करते हुए उनके लिए दुआ करता है कि अल्लाह तआला हज़रत के परिवार वालों, औलाद, दोस्तों, मिलने वालों और सभी संबंधियों को सब्र जमील के साथ-साथ इस गम को बर्दाश्त करने की तौफीक अता फरमाए और हज़रत को जन्नत उल फिरदोस में आला मुकाम अता फरमाए।
ये लोग रहे शामिल
हज़रत अमीर उल हिंद के अलावा हज़रत मौलाना मुफ्ती अब्दुल रज्जाक खान साहब, हज़रत मौलाना मोहम्मद हमजा हसनी नदवी, मौलाना मोहम्मद वली रहमानी, मौलाना निजामुद्दीन असीर अदरवी, मौलाना नूर आलम खलील अमीनी, मौलाना हबीबुर्रहमान आजमी, मौलाना महमूद कासिम मेरठी, मौलाना अबू बकर रांची, मौलाना शब्बीर अहमद राजस्थान मौलाना मोहम्मद इब्राहिम जूनागढ़, महमूद उल जफर रहमानी, क़ारी रिजवान नायब नाजिम मदरसा मजहिर उलूम, हाफिज अब्दुल कबीर बनारस, कारी मोइनुद्दीन, हसन अहमद कादरी पटना, पत्नी प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी गुजरात और पत्नी मौलाना मोहम्मद अमीन पालनपुर, मौलाना अब्दुल जब्बार भागलपुर, पत्नी मुफ्ती शब्बीर अहमद मुरादाबाद, असलम भाई देवास, मिर्जा शब्बीर बैग, मुफ्ती एजाज अरशद, मौलाना अब्दुल मोमिन संभल भाई मेराज मुजफ्फरनगर, शहाबुद्दीन सीवान, हाजी मियां फैयाजउद्दीन दिल्ली, पत्नी अब्दुल रजाक धमरका, मौलाना अब्दुल कयूम पालनपुर, हाजी यूनुस, मौलाना अब्दुल रशीद उस्ताद दारुल उलूम मोहम्मद सादिक,मुफ्ती अहमद देवलया, मौलाना रफीक गाड़ी गांव आसाम, अनवरा तैमूर पूर्व मंत्री आसाम मौलाना अनवरी अली हैलाकंदी, मौलाना अब्दुल बाकी मद्रास सहित विभिन्न हस्तियों की मृत्यु पर शौक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सम्मेलन में नवनियुक्त अध्यक्ष जमीअत उलमा हिंद और महासचिव के अलावा सदस्य के तौर पर मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आज़मी, मौलाना शौकत अली वैट, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल क़ासमी, मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी शरीक हुए।
जब के जूम के माध्यम से अबुल कासिम नोमानी मोहतमिम व शैखुल हदीस दारुल उलूम देवबंद, मौलाना नदीम अहमद सिद्दीकी, मौलाना पीर शब्बीर अहमद, मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार अहमद,मौलाना बदरुद्दीन अजमल मौलाना मोहम्मद रफीक मजाहिरी, मौलाना सिराजुद्दीन नदवी अजमेर और विशेष आमंत्रित के तौर पर मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी उस्ताद दारुल उलूम देवबंद, मुफ्ती अब्दुल रहमान नौगांवा सादात, मुफ्ती अहमद देवलिया हाजी मोहम्मद हारुन, मौलाना अली हसन मजाहीरी मौलाना अब्दुल कुददूस पालनपुर मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, डॉक्टर सईदुद्दीन नांगलोई और जूम के माध्यम से ही मुफ़्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, क़ारी मोहम्मद अमीन, डॉक्टर मसूद अहमद आज़मी मुफ्ती हबीबुर्रहमान इलाहाबाद, मौलाना गुलाम कादिर पूंछ, मौलाना मोहम्मद इलियास मिफ्ताही पीपली माजरा, क़ारी मोहम्मद अयूब मुंबई, मौलाना मोहम्मद याहिया आसाम, शरीक हुए।