क्या भारत का विदेश मंत्रालय त्रिपुरा और गुरुग्राम की घटना पर कुछ कहना चाहेगा?

रवीश कुमार

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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुई हिंसा को आप केवल बांग्लादेश का मान कर नहीं देख सकते। एक ही हिस्से से निकले भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों मुल्कों में धार्मिक आधार पर नफ़रत चरम पर है। तीनों देशों में एक-दूसरे से सारी वाहियात चीज़ें सीखने वालों की कमी नहीं है। दुर्गा पूजा पंडाल में क़ुरान रखने की घटना भारत के लिए अनजान नहीं है। आए दिन मंदिर और मस्जिद में मांस फेंक कर एक दूसरे को भड़काने की घटनाएँ होती रहती हैं। बताने की ज़रूरत नहीं है। इसलिए सांप्रदायिकता आज दुनिया की बड़ी राजनीतिक और धार्मिक समस्याओं में से एक है क्योंकि दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में है। अनंत कथाएँ लेकर हर पक्ष हाज़िर है और एक दूसरे से आशंकित है।

अगर आप बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा को, अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर होने वाले हमले को समझना चाहते हैं तो हिन्दू में छपे इस लेख को पढ़ सकते हैं। राउद्रो रहमान का यह लेख है। इसका सार यहाँ बता दे रहा हूँ घटना के बाद क्या क्या हुआ। बाक़ी आप भी पूरा लेख पढ़ें-

दुर्गा पूजा पंडाल में क़ुरआन रखने के बाद हुई हिंसा की 70 से अधिक घटनाओं के संबंध में 400 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं। बांग्लादेश के 22 ज़िलों में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

जहां से घटना शुरू हुई, उस पंडाल में क़ुरआन रखने की घटना में शामिल दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद भी हिंसा नहीं थमी। हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले शुरू हो गए। दुकानों और घरों को भी निशाना बनाया गया। इतना होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक शब्द नहीं बोला। एक सप्ताह बाद सीसीटीवी फ़ुटेज की मदद से बांग्लादेश की पुलिस ने क़ुरआन रखने वाले इक़बाल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया।

बांग्लादेश के गृहमंत्री का बयान है कि इक़बाल ने ऐसा किया है लेकिन उसे किसी ने उकसाया होगा। हम उसके बारे में भी पता लगाएँगे।

बांग्लादेश के हिन्दू बौद्ध, क्रिश्चियन एक्य परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने कहा कि जब भी कोई गिरफ्तार होता है उसे मनचला या पागल बता दिया जाता है। यह पूर्व नियोजित साज़िश है। सरकार की जवाबदेही है कि पता लगाए किसने किया। हम यहाँ शांति और सद्भावना के माहौल में रहना चाहते हैं।

मानवाधिकार संस्थाओं ने भी बांग्लादेश की सरकार की आलोचना की है और कहा है कि ऐसी हिंसा पहली बार नहीं हुई है। सरकार ठीक से कदम उठाए। यही बात भारत के संदर्भ में मानवाधिकार संस्थाएँ बोल दें तो प्रधानमंत्री मोदी तुरंत बयान देने आ जाएँगे कि भारत को बदनाम किया जा रहा है। हिन्दू की इस रिपोर्ट में है कि हिन्दुओं ने पूर्व की हिंसा में कोई कार्रवाई न होने की बात कही है। तब भी भारत कहता है कि बांग्लादेश उसका आदर्श पड़ोसी है।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि हिंसा में शामिल लोगों को सज़ा मिलेगी। हिंसा प्रभावित स्थलों पर सरकार के मंत्रियों ने दौरा किया है। मंत्रियों ने हिन्दू समुदाय को भरोसा दिलाया है कि उन्हें सुरक्षा मिलेगी और मुआवज़ा मिलेगा। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे नज़र रखें कि कोई सांप्रदायिक सद्भाव को नुक़सान न पहुँचाए। इस्लाम दूसरे धर्म की अवमानना की इजाज़त नहीं देता है।

प्रधानमंत्री हसीना ने यह भी कहा है कि बांग्लादेश के बड़े पड़ोसी को हालात के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक के साथ हो रही हिंसा की तरफ़ इशारा करते हुए शेख़ हसीना ने कहा कि उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि वहाँ कुछ न हो जिससे हमारे देश में हिन्दू समुदाय पर असर हो।

इसके बाद भी भारत के विदेश सचिव ने कहा कि बांग्लादेश के साथ आदर्श संबंध हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर हिंसा की इन घटनाओं पर अफ़सोस जताया है और कहा है कि पचास साल पहले जिन लोगों ने बांग्लादेश की आज़ादी का विरोध किया था वे लोग आज तक नफ़रत फैला रहे हैं। वे बांग्लादेश के सेकुलर, ग़ैर-कम्युनल और बहुलतावादी साख को ख़राब करना चाहते हैं।

क्या भारत का विदेश मंत्रालय त्रिपुरा और गुरुग्राम की घटना पर कुछ कहना चाहेगा? कभी भारत का ऐसा किरदार हुआ करता था, आज इस तरह के बयान जारी कर बांग्लादेश भारत को शर्मिंदा कर रहा है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस साल दुर्गा पूजा के मौक़े पर प्रधानमंत्री हसीना ने हिन्दू कल्याण ट्रस्ट को तीस लाख टाका दिया है।

हिन्दू अख़बार में छपी इस लंबी रिपोर्ट से कुछ बिन्दुओं का हमने हिन्दी में अनुवाद किया है ताकि जिन्हें अंग्रेज़ी से दिक़्क़त है वे इसे समझ सकें। बाक़ी लोगों से निवेदन है कि पूरे लेख को पढ़ें। काफ़ी लंबा है लेकिन बांग्लादेश के समाज की विभाजन रेखाओं को पहचानने में मदद मिलती है। बाक़ी जिसे आई टी सेल और गोदी मीडिया के बहकावे में रहना है वो तब भी रहेगा। आप कुछ भी लिख दें या बोल दें। उसे बांग्लादेश के हिन्दुओं से कोई मतलब नहीं है। उसके लिए यह मुद्दा केवल खुराक है जिसके नाम पर वह यहाँ के मुसलमानों के प्रति नफ़रत फैलाता है। वर्ना ऐसे लोग रवीश कुमार से नहीं नरेंद्र मोदी से पूछ रहे होते कि आपने क्या किया।

(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)