गिरीश मालवीय
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कोरोना काल में भी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 2.5% है. पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक कहता है कि उनके देश की इकॉनमी में सुधार की शुरुआत हो चुकी है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 2.5 फीसदी तक चली जाएगी। आप जानते हैं भारत के लिए रिजर्व बैंक के इस वित्तवर्ष के क्या अनुमान है? रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा विश्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रमश: 10.3 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। यानी भारत की इकनॉमी के बारे में सारे अर्थशास्त्री बिलकुल श्योर है कि देश भयानक मंदी की चपेट में है और आर्थिक बर्बादी के रास्ते पर चल पड़ा है
कल एक और रिपोर्ट सामने आई है जो अंतर्राष्ट्रीय संस्था ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स ने जारी की है इस ग्लोबल रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत सबसे ज्यादा बुरी होगी उनका आंकलन है कि 2025 तक भी भारत की पर-कैपिटा जीडीपी कोविड से पहले के मुकाबले 12% तक डाउन रहेगी. ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार भारत की आर्थिक विकास दर 2020 से 2025 के बीच कोविड महामारी से पहले अनुमानित 6.5% से गिर सिर्फ 4.5% रहने का पूर्वानुमान है.
प्रधानमंत्री मोदी 18 -18 घण्टे काम कर देश की अर्थव्यवस्था को किस हाल में पुहंचाए हैं इस रिपोर्ट से यह समझ मे आ जाता है। कल एक और तथ्य भी सामने आया जिससे ये बात बिल्कुल प्रूव हो जाएगी. बीते 5 सालों में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी जीडीपी में 2.5 फीसदी घट गई है। इस आंकड़े के साथ ही भारत एशिया के सबसे कम औद्योगिकीकरण वाले देशों में शामिल हो गया है। 2019 में भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी में बड़ी कमी देखने को मिली है। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 2019 में जीडीपी में 27.5 फीसदी की हिस्सेदारी रही है, जो बीते 20 सालों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले 2016 में यह औसत 29.3 फीसदी का था और 2014 में 30 फीसदी था। यह आँकड़े मेक इन इंडिया अभियान की हकीकत बतला रहे है।
और ध्यान दीजिए हम यहाँ 2019 की बात कर रहे हैं जब कोरोना काल नही था। कोरोना काल मे तो एशिया के 19 देशो में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बुरा परफॉर्म कर रही है पूरे आँकड़े हमारे सामने है। इतना सब सामने है लेकिन तब भी अंधभक्तो को मोदी की आर्थिक नीतियों को डिफेंड करने में थोड़ी सी भी शर्म नहीं आती।
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)