भारत अपने इतिहास का सबसे भयानक पलायन देख रहा है और सरकार बिना कुछ किए इस पलायन त्रासदी को चुपचाप देख रही है

कृष्णकांत

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जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे, तब एक मजदूर अपने बैल के साथ जोड़ी बनाकर गाड़ी खींच रहा था. कल ही मीडिया में अलग-अलग खबरों में कम से कम डेढ़ दर्जन मजदूरों के मारे जाने की सूचना थी. प्रधानमंत्री की बातों में यह शामिल था कि देश को मजदूरों के पसीने की जरूरत है. लेकिन वे यह नहीं कह सके कि हम भारत के राजमार्गों पर अब और मजदूरों का खून नहीं बहने देंगे.

इंदौर के मंगलिया बाईपास का एक वीडियो सामने आया है. एक बैल और एक आदमी मिलकर बैलगाड़ी खींच रहे हैं. एक महिला और एक बच्चा बैलगाड़ी पर बैठे हैं.

एनबीटी के मुताबिक, तीन लोगों का यह परिवार महाराष्ट्र से राजस्थान के लिए चला है. घर से निकले थे तब ये बैलगाड़ी दो बैलों की जोड़ी खींच रही थी. एक बैल रास्ते में हार गया. बैल का मालिक खुद बैल बन गया और दूसरे बैल का साथ देने लगा. रास्ते में एक बैल की मौत हो गई. इस चिलचिलाती धूप में परिवार के तीनों सदस्य बारी बारी से बचे हुए एक बैल का साथ दे रहे हैं.

पत्रिका का कहना है कि यह परिवार महू से मुंडला, इंदौर के लिए निकला है. बैल मरा नहीं, बल्कि पैसा न होने पर बेच दिया. गाड़ी खींचने वाला राहुल है और साथ में उसका भाई और भाभी हैं. उसके भाई और पिता पैदल ही आगे निकल गए हैं.

 

खबर में लिखा गया है कि वायरल वीडियो के बारे में इंदौर जिला प्रशासन के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है. यह झूठ है. इस वीडियो या बैलगाड़ी के बारे में जानकारी न होगी, न सही. इस दुनिया में किसे नहीं मालूम है कि भारत के लाखों लाख मजदूर हाईवे पर हैं और पैदल अपने घर भाग रहे हैं. किसे नहीं मालूम है कि भारत अपने इतिहास का सबसे भयानक पलायन देख रहा है और भारत की सरकार चुपचाप इस पलायन और त्रासदी को देख रही है, बिना कुछ किए.

(लेखक युवा पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)