नई दिल्ली: भारत सरकार का रुख तालिबान के प्रति थोड़ा नर्म होता दिख रहा है और तालिबान के साथ बातचीत के संकेत दिए हैं। ABP न्यूज़ की ख़बर के मुताबिक़ भारत सरकार ने ये तय कर लिया है कि तालिबान से बातचीत की जाएगी। देश हित को ध्यान में रखते हुए जिस भी पक्ष से बातचीत करने की जरूरत है उससे संपर्क किया जाएगा। पहले भी सरकार ने तालिबान से संपर्क करने की बात को खारिज नहीं किया था।
हालांकि ये संपर्क किस तरह का होगा, ये भविष्य में तालिबान पर निर्भर करेगा कि वह भारत के प्रति क्या रुख रखता है और भारत के हितों की किस तरह से सुरक्षा करता है। वहीं तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सरकार चलाने की कोशिशें तेज कर दी है। इसके लिए अलग-अलग विभाग बनाकर जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
रूस और भारत के बीच वार्ता
जानकारी के लिये बता दें कि एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की थी। रूस के राष्ट्रपति के साथ 45 मिनट तक चली चर्चा में मोदी ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की। भारत ने काबुल से अपने राजनयिक मिशन को खाली कर दिया है और रूस ने अपने राजनयिकों को काबुल में रखा है और वह संभवत: तालिबान के साथ संचार चैनल खोलना चाहता है।
अफगानिस्तान में तालिबान शासन की मान्यता पर, भारत ने कहा है कि वह इंतजार करेगा और देखेगा कि चरमपंथी समूह खुद को कैसे संचालित करता है और अन्य लोकतांत्रिक राष्ट्र इसके बारे में क्या कदम उठाते हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से भी बात की थी और अफगानिस्तान सहित द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी।
ग़ौरतलब है कि 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिय था। अफ़ग़ानिस्तान के निर्वतमान राष्ट्रपति अशरफ ग़नी को देश छोड़कर यूएई में शरण लेनी पड़ी है। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी के साथ बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं।