सहारनपुर: पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत काजी रसीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद ने सोमवार को सपा का दामन थामने की घोषणा कर दी। वहीं, उनके भाई नौमान मसूद ने गाजियाबाद में बसपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं राहुल और प्रियंका गांधी के विश्वास पात्र इमरान मसूद ने यहां समर्थकों की बैठक में सपा में शामिल होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वह एक-दो दिन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे।
दूसरी ओर उनके भाई नौमान मसूद ने बसपा का दामन थाम लिया है। नौमान मसूद पिछले साल 15 जुलाई को अपने बेटे हमजा मसूद के साथ कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गए थे। उन्होंने दिल्ली जाकर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी का हाथ थाम लिया था और 16 अक्टूबर 2021 को गंगोह में जयंत चौधरी की रैली कराकर सपा-रालोद गठबंधन से टिकट का दावा ठोंक दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अखिलेश गंगोह सीट रालोद के कोटे में देने को तैयार नहीं हुए। इस सीट पर पूर्व मंत्री दिवंगत चौधरी यशपाल सिंह के बेटे सपा नेता चौधरी इंदर सेन सपा टिकट के प्रबल दावेदार हैं। चौधरी इंदर सेन और उनके भाई चौधरी रूद्र सेन ने 10 अक्टूबर को में अखिलेश यादव की विशाल रैली कराकर अपनी ताकत का इजहार किया था। अखिलेश ने उसी वक्त इस परिवार को चुनाव लड़ाने का भरोसा दे दिया था।
रालोद-सपा गठबंधन में दावा खत्म होने और इमरान मसूद से पारिवारिक नाराजगी के चलते आज नौमान मसूद ने गाजियाबाद जाकर बसपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी शमसुद्दीन राइन से मुलाकात की। राइन ने उन्हें ना केवल बसपा में शामिल करा दिया बल्कि गंगोह सीट से पार्टी का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। नौमान मसूद ने कांग्रेस-सपा गठबंधन उम्मीदवार के रूप में 2017 का चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे।
उधर इमरान मसूद, सपा नेता चौधरी इंदर सैन और उनके भाई सपा जिलाध्यक्ष चौधरी रूद्र सैन के साथ हैं। जाहिर है गंगोह सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। दोनों भाई अलग-अलग खेमों में खड़े होंगे।
इससे पूर्व 2014 के लोक सभा चुनाव में भी काजी खानदान दो फाड़ हो गया था। रशीद मसूद ने अपने बेटे शाजान मसूद को सपा से चुनाव मैदान में उतारा था जबकि भतीजा इमरान मसूद कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि वह भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा से पराजित हो गए थे।