नई दिल्लीः लेखक, पत्रकार जाहिद खान को एक बार फिर लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह अवार्ड चौथी मर्तबा मिला है। इससे पहले वे साल 2011-2012, साल 2013-14 और साल 2018 में भी ‘लाडली मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग अवॉर्ड फॉर जेंडर सेंसिटिव्हिटी’के रीजनल पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। सम्मान के तहत जाहिद खान को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह दिया जाएगा।’लाडली मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग अवॉर्ड फॉर जेंडर सेंसिटिव्हिटी—2018—19′ रीजनल अवार्ड के विजेताओं का एलान 20 नवम्बर, देर शाम को एक ऑनलाइन आयोजन में हुआ। जिसमें जाहिद खान को बेस्ट सम्पादकीय आलेख (हिंदी) प्रिंट कैटेगरी के तहत अवार्ड दिया गया। पुरस्कार के लिए चयनित होने उनका लेख था,’महिलाओं पर भारी गन्ने की खेती’ (समाचार पत्र-‘डेली न्यूज’, जयपुर)। इस लेख में लेखक, पत्रकार जाहिद खान ने महाराष्ट्र के बीड जिले में चार हजार से ज्यादा महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने के हैरतअंगेज और शर्मनाक मामले का विस्तृत विश्लेषण किया था।
मुंबई की एक सामाजिक संस्था ‘पापुलेशन फर्स्ट’ और यूएनएफपीए (यूनेस्को) द्वारा संयुक्त रूप से हर साल दिए जाने वाले इस अवार्ड का यह दसवां संस्करण था। कोरोना वायरस कोविड—19 महामारी की वजह से इस साल यह आयोजन यूट्यूब चैनल पर ऑनलाइन हुआ। इस ऑनलाइन आयोजन की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा और विशिष्ट अतिथि यूएनएफपीए की भारत में प्रतिनिधि अर्जेंटीना मेटाविल पिचिन थीं। प्रोग्राम में सबसे पहले पॉपुलेशन फर्स्ट के विशेष ट्रस्टी एस.व्ही.सिस्टा, पॉपुलेशन फर्स्ट की निदेशक डॉ.ए.एल.शारदा,लाडली मीडिया अवार्ड की राष्ट्रीय समन्वयक डॉली ठाकुर ने प्रतिभागियों और दर्शकों को संबोधित किया। इसके बाद विजेताओं के नाम का एलान किया गया। इस साल लाडली मीडिया अवार्ड के लिए पूरे देश से 1100 से ज्यादा एंट्री पहुंची थीं। जिसमें 10 भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, ओड़िया, असमिया, बंगाली, गुजराती के कुल 93 पत्रकारों को इस सम्मान के लिए चुना गया।
‘लाडली मीडिया एंड एडवर्टाइजिंग अवार्ड फॉर जेंडर सेंसिटिव्हिटी’ देश के उन मीडियाकर्मियों को दिया जाता है जो कि प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न्यूज पोर्टल, ब्लॉग, वेबसाईट, रेडियो प्रोग्राम, कम्युनिटि मीडिया, फिल्म, किताब, विज्ञापन, डाक्युमेंट्री यानी मीडिया के किसी भी माध्यम के जरिए समाज में लैंगिक संवेदनशीलता का प्रसार एवं लैंगिक समानता, लैंगिक न्याय की बात करते हैं। देश में लैंगिक उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं।