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अगर कोई टुकड़ाखोर इस देश के करोड़ों लोगों को आतंकवादी बताए तो समझिए कि उसे इस देश से नफरत है।

कृष्णकांत

भारत की धरती पर रहने वाले करोड़ों किसान, मजदूर, दलित, आदिवासी, पिछड़े, गरीब, भूमिहीन, बेघर- इनसे अलग भारत क्या है? इन लोगों को अगर कोई व्यक्ति देश के लिए खतरा बता रहा है, तो वह खुद आपके लिए और आपके देश के लिए खतरा है। उससे सावधान रहिए। सबसे ताकतवर होने का मतलब यह नहीं होता कि वह जो भी कहेगा, वह सही ही कहेगा। किसी को सत्ता मिल जाए, सरकारी सुरक्षा मिल जाए, पार्टी का संरक्षण मिल जाए तो जरूरी नहीं कि वह व्यक्ति आपका आदर्श होने लायक है।

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ताकतवर हिटलर भी था जिसने जर्मनी को बर्बाद कर डाला था।  आजकल देश की अखंडता और एकता का बड़ा हल्ला है। जो लोग ये हल्ला मचा रहे हैं, वे ही करोड़ों किसानों को साफ शब्दों में आतंकवादी बता रहे हैं। अपना भला चाहते हैं तो ऐसे पागलों पर गौर मत कीजिए। वे आपके दिमाग में जगह पाने लायक नहीं हैं। वे अपने आप वक़्त के कूड़ेदान में चले जाएंगे।

हम जिस भारत माता की जय बोलते हैं, वह भारत माता कौन हैं?

डिस्कवरी ऑफ इंडिया में नेहरू ने लिखा है:

“कभी ऐसा भी होता कि जब मैं किसी जलसे में पहुंचता, तो मेरा स्वागत ‘भारत माता की जय’ नारे के साथ किया जाता। मैं लोगों से पूछ बैठता कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन है जिसकी वे जय चाहते हैं। मेरे सवाल से उन्हें कौतुहल और ताज्जुब होता और कुछ जवाब न सूझने पर वे एक दूसरे की तरफ या मेरी तरफ देखने लग जाते। आखिर एक हट्टे कट्टे जाट किसान ने जवाब दिया कि भारत माता से मतलब धरती से है। कौन सी धरती? उनके गांव की, जिले की या सूबे की या सारे हिंदुस्तान की? इस तरह सवाल जवाब पर वे उकताकर कहते कि मैं ही बताऊं। मैं इसकी कोशिश करता कि हिंदुस्तान वह सबकुछ है जिसे उन्होंने समझ रखा है। लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है। हिंदुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत, जो हमें अन्न देते हैं, ये सभी हमें अजीज हैं। लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिंदुस्तान के लोग, उनके और मेरे जैसे लोग, जो इस सारे देश में फैले हुए हैं। भारत माता दरअसल यही करोड़ों लोग हैं और भारत माता की जय से मतलब हुआ इन लोगों की जय। मैं उनसे कहता कि तुम इस भारत माता के अंश हो, एक तरह से तुम ही भारत माता हो और जैसे जैसे ये विचार उनके मन में बैठते, उनकी आंखों में चमक आ जाती, इस तरह मानो उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो।”

अगर कोई अपने कुत्सित लाभ के लिए, सत्ता की दलाली और टुकड़खोरी के इस देश के करोड़ों लोगों को आतंकवादी बताए तो समझिए कि उसे इस देश से नफरत है। भारत के करोड़ों लोग ही वास्तव में भारत हैं।

(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)