वीर विनोद छाबड़ा
बल्लेबाज़ी लहीम-शहीम की बपौती कभी नहीं रही. छोटे कद के सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर ने तो बल्लेबाज़ी के कई रिकॉर्ड बनाये. उन्हें लिटिल मास्टर कहा गया. लेकिन उनसे पहले भी एक पांच फुट छह इंच के महारथी हुए हैं जिन्हें लिटिल मास्टर कहा गया. ये थे, 1935 में अविभाजित भारत के जूनागढ़ में जन्मे हनीफ़ मोहम्मद. वो सुर्खियों में तब आये जब जनवरी 1958 में उन्होंने ब्रिजटाउन में वेस्ट इंडीज़ के विरुद्ध एक मैराथन इनिंग बहुत मुश्किल घड़ी में खेली. छह दिन के इस टेस्ट में इंडीज़ ने 579/9 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया. जवाब में पाकिस्तानी महज़ 106 पर ढेर हो गए.
फॉलोऑन पर जब पाकिस्तान ने अपनी दूसरी इनिंग शुरू की तो उनके सामने सबसे पहला संकट था 473 रन का घाटा पूरा करना जिसके लिए उनके पास करीब साढ़े तीन दिन का वक़्त था. लेकिन यक्ष प्रश्न ये था कि उन दिनों क्रिकेट में मेमने कहलाने वाली पाकिस्तानी टीम में क्या इतना बूता है? रॉय गिलक्रिस्ट, अटकिंसटन, स्मिथ, वैलंटाइन और सोबर्स जैसे जाने-माने गेंदबाज़ दोबारा भूसा भरने के लिए तैयार बैठे थे.
जब 23 वर्षीय युवा हनीफ़ ओपन करने उतरे तो क्लोज़-इन-फील्डिंग कर रहे क्लाईव वालकॉट ने उन्हें डरा दिया – गिलक्रिस्ट को कभी भूल कर भी हिट करने की कोशिश मत करना. लेकिन वालकॉट ने बुरे से बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि ये लड़का एक ऐसी इनिंग खेलने जा रहा है जो कालांतर में विज़डन द्वारा ग्रेस्टेस्ट टेस्ट इनिंग्स में गिना जाएगा. और हनीफ़ न सिर्फ़ उस दिन बल्कि अगले तीन दिन तक क्रीज़ पर बहुत गहरे खूंटा गाड़ कर खड़े रहे. गेंदबाज़ों को बुरी तरह थका दिया. गेंदबाज़ी से कभी वास्ता न रखने वाले वालकॉट को भी लगाया गया. लेकिन हनीफ़ का बाल भी बांका नहीं हो पाया. आखिर में वो 337 रन बना कर आउट हुए. इस बीच वो 970 मिनट तक क्रीज़ पर रहे. हालांकि हनीफ़ का दावा रहा कि 999 मिनट क्रीज़ पर रहे. लेकिन कुछ भी हो, ये लांगेस्ट टेस्ट इनिंग का रिकॉर्ड आज भी अछूता है. दूसरी इनिंग में ट्रिपल सेंचुरी का उनका रिकॉर्ड करीब सात साल पहले न्यूज़ीलैंड के ब्रेंडन मैकुलम ने तोड़ा है. पाकिस्तान ने उस इनिंग में 657/8 रन बना कर मैच ड्रा करा लिया था.
हनीफ़ की इस मैराथन पारी के बारे में एक दिलचस्प किस्सा है. उनकी इस इनिंग को कई लोग ऊँचे-ऊँचे दरख़्तों पर बैठे देख रहे थे. उनमें से एक नीचे गिर गया. अस्पताल में जब दूसरे दिन उसे होश आया तो उसने सबसे पहले सवाल पूछा, क्या हनीफ़ अभी क्रीज़ पर है? उसे बताया गया, हां. ये सुनते ही वो फिर बेहोश हो गया.
हनीफ़ ने 1958-59 के सीज़न में कराची के लिए बहावलपुर के विरुद्ध खेलते हुए डॉन ब्रैडमैन का फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 452 रन की हाईएस्ट इनिंग का रिकॉर्ड भी तोड़ा था. 499 रन पर पांच सौवां रन लेने की कोशिश में रन आउट हो गए. इस रिकॉर्ड को 1994 में ब्रायन लारा ने तोड़ा. सुप्रसिद्ध हिस्टोरियन रामचंद्र गुहा के एक लेख में ज़िक्र है, जब हनीफ़ ऑस्ट्रेलिया गए तो ब्रैडमैन उन्हें देख कर हैरान रह गए – मैंने सोचा था, मेरा रिकॉर्ड तोड़ने वाला कोई साढ़े-छह फीटा होगा, लेकिन तुम तो मुझसे भी छोटे निकले. तब हनीफ़ ने कहा था, आप हमेशा बड़े रहेंगे. उस ऑस्ट्रेलिया दौरे के एक टेस्ट में हनीफ़ ने पहली इनिंग में सेंचुरी लगाई और दूसरी इनिंग में जब वो 93 पर थे तो कीपर जारमन ने उन्हें स्टंप आउट करने की अपील की. अंपायर की ऊँगली उठते ही एक जेंटलमैन की भांति हनीफ़ ने मैदान छोड़ दिया. लेकिन बाद में प्रेस कांफ्रेंस में जारमन ने स्वीकार किया कि हनीफ़ वास्तव में आउट नहीं थे.
हनीफ़ 1960-61 में भारत भी आये थे. तब तक वो किवदंती बन चुके थे. हनीफ को आउट करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. हनीफ़ को आउट करने का मतलब था पाकिस्तान को जीत लिया. और सचमुच हनीफ़ भारत और जीत की राह में रोड़ा बने रहे. हनीफ़ ने 55 टेस्ट में 43.96 की औसत से 3915 रन बनाये. फर्स्ट क्लास में 52 की औसत से 17059 रन बनाये. उनकी मां अमीर बी अविभाजित भारत की नेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं. उनके भाईयों वज़ीर और मुश्ताक़ मोहम्मद और बेटे शोएब ने भी पाकिस्तान के लिए टेस्ट खेला है. एक बात और, हनीफ़ को क्रिकेट की शुरुआती ट्रेनिंग अफ़गानी नेशनल अब्दुल अज़ीज़ ने दी थी जिन्होंने जामनगर से रणजी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और वो प्रसिद्ध आलराउंडर सलीम दुरानी के पिता थे. जिन्होंने साठ के सालों की क्रिकेट को देखा है वो हनीफ़ को नहीं भूल सकते.
हनीफ़ का निधन 11 अगस्त 2016 को हार्ट फेल होने की वज़ह से हुआ था.