ग्राउंड रिपोर्ट: त्रिपुरा में दंगाई उत्पात मचाते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही

रुखसार अहमद

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

त्रिपुरा में मुसलमानों के साथ हुई हिंसा एक भयानक मंजर है। इस हिंसा पर अबतक सरकार ने अपनी चुप्पी साध रखी है। इतना ही नहीं मेन मिस्ट्री मीडिया में भी हिंसा से जुड़ी कोई चर्चा नहीं है। इस मुद्दे को पूरी तरीके से दबाया जा रहा है।

मिल्लत टाइम्स ने त्रिपुरा जाकर इस मामले की पड़ताल की। वहां के पीड़ित लोगों से इस घटना के बारे में जायजा लिया। क्योंकि कुछ दिन पहले वहां की एसपी ने कहा थी कि त्रिपुरा में कोई हिंसा नहीं हुई। यहां का माहौल शांत है।

मिल्लत टाइम्स ने वहां के लोगों इस घटना की पूरी जानकारी ली। त्रिपुरा के पानीसागर में दंगाइयों ने आतंक मचाया था। वहां के लोगों ने बताया कि कम से कम 8 दुकानों के दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था। पानीसागर में दंगाइयों ने 21 अक्टूबर को एक रैली निकाली थी। जिसमें बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोग शामिल थे। वहां के लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि संगठन के लोग मुस्लिम दुकानों के देख–देख कर जला रहे थे। गांव के लोकल ने बताया कि अभी इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। जहां यह घटना हुई पानीसगार का एक गांव है राहुवा, जहां करीब 350 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इस जगह मुसलमानों की दुकानों को चुन-चुन कर निशाना बनाया गया।

इस मामले में उसी गांव के मिर्जान अली ने बताया कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने एक बहुत बड़ी रैली निकाली थी। जिसमें उन्होंने मुसलमानों को टरगेट करके उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया। वहीं दूसरे शख्स ने कहा कि जो घटना हुई है उस समय पुलिस मौके पर ही मौजूद थी। लोकल का कहना है कि गांव के प्रधान नसरुद्दीन ने एक पुलिस वाले से बातचीत की थी, जिसका नाम विश्वजीत देव वर्मा था।

प्रधान ने फोन करके कहा था कि हमारे गांव में हमला हुआ है मदद करें, लेकिन उन्होंने कहा वहां हमारे 80 जवान मौजूद है, हम उस भीड़ को कंट्रोल नहीं कर सकते। लोगों ने बताया कि कुछ हिंदू ने हमारी मदद भी की। गांव के लोकल ने बताया भीड़ मुसलमानों की दुकानों को पुलिस के सामने ही आग लगा रही थी, लेकिन उन्होंने रोका नहीं।

इतना ही नहीं पुलिस उन दंगाइयों को पहचानती भी, लेकिन फिर उनपर कोई कार्रवाई नहीं करती। एक जली हुई दुकान के मालिक अमिरुद्दीन से मिल्लत टाइम्स ने बातचीत की। उन्होंने बताया कि उनकी 10 साल पूरानी दुकान थी। लेकिन भगवा दंगाइयों ने उसे बुरी तरह जलाकर खाक कर दिया। दुकान के मलिक ने बताया कि बंजरग दल और हिंदू परिषद के लोग एक रैली के लिए जमा हुए।

उन्होंने पहले वहां की मस्जिद में तोड़फोड़ की। उसके बाद हमारे नबी के खिलाफ गलत नारे लगते हुए हमारी दुकानों पर हमला कर दिया। भीड़ कम से कम 10 से 12 हजार के लोगों की थी। अमिरुद्दीन ने बताया उन्होंने पहले नारे लगते हुए मजिस्दों में तोड़फोड़ की फिर हमारी दुकानों को तोड़ना शुरू कर दिया।

 

दुकान में जितना समान था सब लूट लिया और बाद में आग लगा दी। इस घटना में अमिरुद्दीन को 20 लाख तक का नुकसान हुआ। इतना हीं नहीं मुसलमानों के घरों पर भी हमला किया गया। गांव वालों का कहना है कि प्रशासन ने हमें रोका लेकिन जो लोग आग लगा रहे थे उन्हें नहीं रोका। अमिरुद्दीन ने कहा हमारी यही मांग है कि सरकार हमारे नुकसान की भरपाई करे और गांव में अमन का माहौल हो जाए। पानीसगर वह इलाका है जहां दगांइयों ने सबसे ज्यादा हमला  किया। यहीं मुसलमानों के घरों और मजिस्दों पर पुलिस की मौजूदगी में आग लगा दी थी।

सभार मिल्लत टाइम्स