राहुल गांधी के कैंब्रिज भाषण को गोदी मीडिया ने जिस तरह जहर बनाकर परोसा है, वह आपराधिक और बेहद चिंताजनक है। झूठ और जहर फैलाने का जो घिनौना काम दुश्मन देशों ने भी नहीं किया, वह अब तक भाजपा की आईटी सेल कर रही थी और अब आईटी सेल का जहर सीधे सीधे गोदी मीडिया की रगों में इन्जेक्ट कर दिया गया है।
राहुल गांधी अपने भाषण में पहले भारत की बात करते हैं जिसमें वे मौजूदा तानाशाही और संस्थाओं को खत्म करने के प्रयासों को रेखांकित करते हैं। इसके बाद वे अमेरिका, चीन, नई विश्व व्यवस्था में सीखने और सुनने के महत्व पर बात करते हैं। पहले भाजपा ने उनके भाषण को विदेशी धरती पर भारत की आलोचना से जोड़ा। इसके बाद अचानक कई मीडिया ने एक साथ खबरें चला दीं कि राहुल गांधी ने चीन को शांतिपसंद देश बता दिया। उस भाषण को सुनकर कोई गधा भी ऐसी बात नहीं बोल सकता।
राहुल गांधी चीन और अमेरिका की तुलना करते हुए यह बता रहे थे कि उनका सोचने का तरीका कैसा है और वे अपने को कैसे विचार के साथ पेश करते हैं। वे बताते हैं कि कैसे अमेरिका वैयक्तिक स्वतंत्रता को महत्व देता है जबकि चीन ऐसा नहीं करता। दोनों देशों के मूल विचारों और what they think के बारे में चर्चा करते हैं। वे लोकतांत्रिक देशों द्वारा प्रोडक्शन में चीन की मोनोपोली का मुकाबला करने की जरूरत की बात करते हैं।
कांग्रेस का आरोप सही लग रहा है कि जहरबुझे मीडिया को वॉट्सएप फारवर्ड आया और उसी के आधार पर यह खबर चलाई गई।
कांग्रेस, संपूर्ण विपक्ष और जनता को सबसे पहले इस बारे में सोचना चाहिए कि इस आपराधिक, जनता द्रोही और निकृष्ट मीडिया से कैसे निपटा जाएगा। भारतीय लोकतंत्र पर यह बड़ा संकट है। आपको अभिव्यक्ति की हर किस्म की आजादी को बचाना है लेकिन तब क्या करेंगे जब पूरे देश का समूचा प्रेस प्रोपेगैंडा मशीनरी में बदल जाए?