अंधेरे में डूबे मध्यप्रदेश को हिंदु मुस्लिम के झगड़े में उलझाकर बिजली को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में हिन्दू मुस्लिम विवाद हो रहे हैं यह राष्ट्रीय महत्व की खबर है लेकिन मध्यप्रदेश के हजारों गांवों में 24 में से 12 घण्टे भी बिजली नही दी जा रही यह खबर राष्ट्रीय स्तर पर गायब है। यह देश के किसी ओर राज्य में हो रहा होता तो फिर भी बात मानी जा सकती थी लेकिन मध्यप्रदेशतो देश के उन चुनिंदा राज्यों में है, जो पावर सरप्लस स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य हैं, जिसने आकलन के विद्युत संयोजन के सभी मापदंडों पर पूरे अंक प्राप्त प्राप्त किए हैं. मध्यप्रदेश की विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता बीस हजार मेगावाट से अधिक की है। उसके बाद ऐसी कटौती होना आश्चर्य जनक है।

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हमे याद है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार एक साल सत्ता में रही , उस दौरान यदि 15 मिनट भी बिजली गुल हो जाती थी तो व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज आने लगते थे कि ‘और दो कांग्रेस को वोट’ लेकिन आज मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में महज 6 से 8 घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जा रही है पर मजाल है किसी के मुँह से कोई आवाज निकल जाए ! ग्रामीणों का कहना है कि बिजली कब आती है और कब चली जाती है, इसका कोई शेड्यूल नहीं है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जन्माष्टमी का पर्व मनाने मथुरा पहुंचे. तो उन्होंने वहां कहा कि पहले हिंदू त्योहारों पर ना बिजली आती थी ना पानी मिलता है लेकिन अब देश का हिंदू दिल खोलकर त्योहार मनाता है.

योगी आदित्यनाथ को जरा मध्यप्रदेश और बिहार का दौरा करने की जरूरत है हफ्तेभर से राजधानी भोपाल के 514 गांवों में 7 से 12 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है, गुना जिले के ग्रामीण इलाकों में 12-14 घंटे की कटौती हो रही है।पहले मिनिमम 14-18 घंटे बिजली मिलती थी, जो अब घटकर 8-10 घंटे रह गई है।

बिजली कटौती की वजह वही पुरानी है कि कोयला नही है, मप्र पर कोल इंडिया का 900 करोड़ रु. बकाया है। भुगतान अटकने से कोल इंडिया ने कोयले की सप्लाई धीमी कर दी है। कोयला नहीं मिलने से थर्मल पावर प्लांट की इकाइयों से पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पा रहा है राज्य के बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन सत्तर हजार टन कोयले की जरूरत है। लेकिन, उपलब्धता सिर्फ पच्चीस हजार टन की है।

इसके अलावा प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों को राज्य सरकार से सब्सिडी के मार्च 2021 तक ही 13726 करोड़ रुपए लेना है। कुल 21000 करोड़ का बकाया बताया जा रहा है। अब इसका हल क्या निकाला जाएगा वह भी सुन लीजिए।होगा यह कि विद्युत कर्मचारियों को कामचोर बताकर प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को प्राइवेट कर दिया जाएगा, जिसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं।)