गिरीश मालवीय
अब यह तय हो गया है कि कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा बाजार भारत ही है, भारत को छोड़कर पूरी दुनिया मे कोरोना वैक्सीन को मचाई गयी जल्दबाजी को लेकर तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं, क्योकि अगर बहुत ज्यादा जल्दी भी मचाई जाए तो भी यह वैक्सीन डेढ़ साल से पहले नही आ सकती थी लेकिन हम देख रहे हैं कि एक साल से भी कम वक्त में इस वैक्सीन का उत्पादन तक किया जा रहा है, यह बहुत गलत हो रहा है लेकिन तमाम वैज्ञानिक समुदाय इस पर खामोश बना हुआ है।
यूरोपीय देशों में तो इसी कारण से जनता द्वारा कोरोना वेक्सीनेशन का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है, ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो अपने देशवासियों को वैक्सीन लगाने से साफ साफ मना कर दिया है, अमेरिका की एक बड़ी आबादी भी अपनी फार्मा कम्पनियों की कोरोना वैक्सीन को शक की नजरों से देख रही है, रूस ने अपनी वैक्सीन एक महीने पहले ही लॉन्च कर दी थी। लिहाजा वहा पश्चिमी फार्मा कंपनियों के लिए कोई मौका नहीं है, चीन में भी इन पश्चिमी फार्मा कम्पनियों के लिए कोई बाजार बचा नही है क्योंकि वहाँ की कम्पनी सिनवैक अपनी वैक्सीन देशवासियों को लगा रही है, अफ्रीका में तो जैसे कोरोना एग्जिस्ट ही नही कर रहा है। तो ले देकर सिर्फ भारत ही ऐसा देश बच रहा है जहाँ बहुत बेसब्री जनता वैक्सीन ठुकवाने को तत्पर नजर आ रही है वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनियां को भारत मे ही सबसे बड़ा बाजार नजर आ रहा है।
दो दिन पहले मोदी जी इसी कारण से वैक्सीन कम्पनियों के ब्राण्ड एम्बेसेडर बने हुए घूम रहे थे और शाम होते होते पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट ने प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद ये घोषणा कर दी कि वह अगले दो हफ्ते में कोवीशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं मूल रूप से मोदी का यह दौरा आक्सफोर्ड की इसी कोविशील्ड वैक्सीन को प्रमोट करने के लिये था।
कमाल की बात यह भी है कि मोदी जी के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के दौरे के दूसरे दिन उसी कम्पनी की वैक्सीन कोवीशील्ड के गंभीर साइड इफेक्ट होने का आरोप सामने आए, यानी यह इंतजार ही किया जा रहा था कि कब मोदी का दौरा खत्म हो और कब ये खबर रिलीज की जाए, एक 40 वर्षीय वालंटियर ने यह ने यह आरोप लगाया है। वॉलंटियर ने कहा कि वैक्सीन का डोज लेने के बाद से उसे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (दिमाग से जुड़ी परेशानियां) शुरू हो गई हैं। ध्यान दीजिए उसके वकील ने इस दावे से जुड़ी सभी संस्थाओं को 21 नवंबर को ही नोटिस भेज दिए थे लेकिन इस खबर को जानबूझकर मोदी के दौरे के दो दिन बाद रिलीज किया गया।
चेन्नई के वॉलंटियर ने इसके लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से 5 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है। हालांकि, SII ने वॉलंटियर के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। कहा कि उनकी समस्याओं के लिए कहीं से भी वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। सीरम इंस्टिट्यूट ने उल्टा उस व्यक्ति के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा ठोक दिया है, और इस खबर को सीरम इंस्टीट्यूट, के साथ ‘गावी’ और बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच बड़ा गठबंधन है इसलिए इसी कम्पनी की वैक्सीन भारतवासियों को ठोकी जाएगी, लेकिन यह गारंटी कोई नही ले रहा है कि यह वैक्सीन कोरोना संक्रमण को रोकने में वास्तविक रूप में कारगर होगी।