मुंबईः कोरोना वायरस के प्रकोप कारण बहुत से लोगों की जिंदगियां काल के गाल में समा गईं. बहुत बच्चे अनाथ हुए, जबकि कई मां-बाप बेऔलाद हो गए. कोरोना काल में जहां एक तरफ कोरोना का तांडव देखने को मिला वहीं, दूसरी तरफ इंसानियत भी देखने को मिली. कोरोना काल में कई लोग पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए. इन्हीं लोगों में से एक हैं मुंबई पुलिस की सब इंस्पेक्टर रेहाना शेख, जिन्हें आम तौर पर मुंबई की मदर टेरेसा के नाम से जाना जाता है. 40 वर्षीय रेहाना ने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 50 आदिवासी छात्रों को गोद लिया है. उन्होंने महामारी के दौरान कई लोगों की मदद की. समाज में उनके योगदान को उस समय पहचान मिली जब पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने उन्हें उत्कृष्टता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया. आइए जानते हैं रेहाना की पूरी कहानी…
पुलिस में बतौर कॉन्सटेबल हुई थीं भर्ती
रेहाना साल 2000 में बतौर कॉन्सटेबल पुलिस में भर्ती हुई थीं. पुलिस सेवा में रहते जब कभी भी जरूतमंदों या दलितों की मदद करने का अवसर आता, वह हमेशा आगे रहतीं. सब इंस्पेक्टर होने के साथ साथ रेहाना में कई और खूबियां है. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ साथ एक कुशल वॉलीवॉल खिलाड़ी भी हैं.
ऐसे हुई बच्चों को गोद लेने की शुरुआत
बच्चों को गोद लेने के पीछे की कहानी सुनाते हुए रेहाना ने कहा, पिछले साल जब में अपनी बेटी का जन्मदिन मनाने जा रही थी, उसी दौरान उन्हें रायगढ़ के वाजे तालुका में ज्ञानी विद्यालय के बारे में पता चला. इसके बाद उन्होंने इस स्कूल के प्रिंसिपल से बात करने का फैसला किया, जिसके बाद उन्हें स्कूल स्कूल आने के लिए आमंत्रित किया गया.
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण यात्रा पर प्रतिबंधों के बावजूद वह समय निकाल कर स्कूल के छात्रों से मिलने गईं. रेहाना ने कहा कि उन्होंने स्कूल के सभी छात्रों को बेहद अनुशासित और अच्छा व्यवहार करने वाला पाया. स्कूल में पूरा दिन बिताने के बाद उन्होंने 50 छात्रों को गोद लेने का फैसला किया. उन्होंने 10वीं कक्षा तक बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का वादा किया.
कोरोना काल में भी बनीं मसीहा
एक समय था जब मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में कोरोना कहर बरपा रहा था. प्रति दिन बड़ी संख्या में लोग मर रहे थे. कई लोग ऑक्सीन, वैक्सीन आदि की कमी से जूझ रहे थे. ऐसे में रेहाना लोगों के लिए देवदूत बनीं. उन्होंने ऑक्सीन, मास्क और अन्य जरूरी चीजों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. समाज सेवा के अलावा वह एक कुशल खिलाड़ी भी है. साल 2017 में श्रीलंका में आयोजित हुई एक खेल प्रतियोगिता में उन्होंने पुलिस बल का नेतृत्व किया और सिल्वर और गोल्ड मेडल भी जीता.
(सभार वन इंडिया)