डॉ. आसमा बेग़मः गुवाहटी की वह लेडी जिसने लॉकडाउन में बेज़ुबान जानवरों को खाना खिलाया

नई दिल्ली/गुहाटीः लॉकडाउन ने लोगों की ज़िंदगी अस्त व्यस्त कर दी, सभी को रोज़ी रोटी की फिक्र सताने लगीं. इस दौरान समाजिक संगठनों ने अपनी ज़िम्मेदारी अदा करते हुए भूखे पेटों खाना वितरित किया। लेकिन ऐसे भी इंसान इस देश में हैं जो इस दौरान जानवरों के प्रति अपना फर्ज़ नहीं भूले। इन्हीं में से एक हैं डॉक्टर आसमा बेग़म जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान जानवरों को खाना खिलाया है। आसमा बेग़म असम के गुवाहटी में रहतीं हैं। उन्होंने 24  मार्च  शुरू लॉकडाउन से ही अपने आप को बंद दरवाजे के पीछे नहीं किया.  बल्कि भुखो अधभूंखो को  खासकर ग़रीबों को भोजन पहुंचाने में दिन रात एक कर दी. आसमा और उनके साथी ओईनतम ओझा, मृण्मयी गोस्वामी, महबूब रहमान ने भूखे इंसानों के साथ साथ जानवरों को भी खाना खिलाया। आसमा बताती हैं कि यह मानव सेवा भावना है. जो प्राय हर सामाजिक  सांस्कृतिक प्राणी विशेषकर मानव जाति में होती है.

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आसमा के मुताबिक़ अपने देश भारत में खिलाकर खाने की पारंपरिक  संस्कृति है, जो प्राय हर भारतीय महिला में देखी जाती है. एक महिला खिलाकर ही खाती है, उसे खिलाकर खाने में सुकून मिलता है. यदि बिना खिलाए खाती है तो  उसे अपने खाने में स्वाद ही नहीं मिलता.  खिलाकर खाने का अपना अलग ही आनंद है.  लॉक डाउन की दौरान  प्राणियों को खाना खिला कर जो मैंने पाया है  उससे मिले सुकून को शब्दों में बयान नहीं किया  जा सकता. मुझे इससे ज़ेहनी सुकून मिलता है। बता दें कि आसमा बेगम ने  लॉकडाउन के पहले दिन से ही  गरीबों के साथ साथ  पशु -पक्षी,  कुत्ते, बंदर, बकरी, गायों को भी  खाना खिलाया है।

डॉक्टर आसमा ने लॉकडाउन के दौरान चलाए गए भोजन खिलाओ अभियान में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सहयोग की चर्चा करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया. आसमा बेगम ने कहा कि लॉकडाउन में  बिना प्रशासन और पुलिस के कोई सामाजिक सांस्कृतिक काम नहीं किया जा सकता. मेरा निजी अनुभव यह है की काम कीजिए सहयोग मिलता है, मैंने किया और सहयोग भी मिला और अभी भी मिल रहा है. आसमा कहती हैं कि  सद्गुण कभी बासी नहीं होते सब का खून लाल होता है,  सबको एक आंख से देखो, येजीवन के तीन व्यवहारिक विचार हैं, मैं उन्हीं विचारों पर चल रहीं हूं।

आसमा बताती हैं कि उन्होंने बिना किसी भेदभाव के जरूरतमंदों की मदद की है। भोजन वितरण करने के लिए  गुवाहाटी के लगभग हर मंदिरों में गईं, कामाख्या मंदिर, नबाग्रह मंदिर, वशिष्ठा मंदिर, उग्रतारा मंदिर, गीता मंदिर, समेत गुवाहटी  की हर मस्जिद मंदिर गिरजा, गुरुद्वारा में जाते गईं। आसमा ने गुवाहाटी की सड़कों पर, बेजुबान जानवरों और भूखे लोगों हर दिन सुबह शाम खाना खिलाया. डॉक्टर आसमा बताती हैं कि हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं होता, असल धर्म तो मानवता है, उससे भी बड़ा धर्म है किसी भूखे के खाना खिलाना और उनकी भूख मिटाना।

आसमा ने जानवरों कुत्तों बंदरों को खाना खिलाया. आसमा बताती हैं कि इनका ख्याल हम नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा, यह प्रकृति है और हम प्रकृति के ऊपर निर्भर है, हमें प्रकृति को बसाना है तभी हम बचेंगे. ताकि लोगों को मालूम पड़े की असल धर्म मानव धर्म है और इस दौरान कोई सांप्रदायिक राजनीति न करे. डॉक्टर आसमा बेग़म University of Science & Technology of Meghalaya  USTM की स्पोर्ट्स डायरेक्टर होने के साथ साथ असम बेसबॉल एसोसिएशन की महाससिव भी हैं। लॉकडाउन के दौरान आसमा द्वारा किए गए समाजिक कार्य को देखते हुए डॉक्टर आसमा का चयन नेशनल अवार्ड के लिए किया गया है. यह आवार्ड प्रसिद्ध अभिनेता सोनू सूद और आसमा बेग़म को दिया जाएगा. डॉक्टर आसमा अपने द्वारा किए गए समाजिक कार्यों को ‘द पावर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग’ बताती हैं,  और और दूसरों लोगों से भी अपील करती हैं कि घर के आस-पास मैं जो भूखे बेज़ुबान जानवर और गरीब लोग हैं उनकी ज्यादा से ज्यादा मदद करें.