यूँ तो अभी यूपी में विधानसभा के चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। मगर इस वक़्त यूपी के सियासी मैदान में काफ़ी खलबली मची हुई है। वजह साफ़ है वहां के सबसे बड़े मुस्लिम नेता आज़म खान की बनाई हुई मौलाना मोहम्मद अली ज़ौहर यूनिवर्सिटी के तक़रीबन 1400 बीघे ज़मीन को योगी सरकार ने अपने नाम कर लिया है।
आज़म खान तक़रीबन एक साल से सीतापुर जेल में स्वयं और अपने पूरे परिवार जिसमें उनकी पूर्व सांसद एवं विधायक पत्नी तंज़ीन फ़ातिमा और बेटे स्वार के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म के साथ बंद है। 21 दिसम्बर को उनकी पत्नी विधायक तंज़ीन फ़ातिमा जेल से रिहा हुईं और उनका बयान आया की जेल में उनके और उनके परिवार को जेल में बहुत सारी यातनाएँ दी गई। लेकिन बात यही आ कर नहीं रुकती और उन्हें एक आम क़ैदी की तरह रखा गया।
12 जनवरी को एआइएमआइएम के चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी यूपी का दौरा करते है। और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के गढ़ आज़मगढ़ में जनसभा करते है, ठीक उसी दिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का भी जौनपुर में कार्यक्रम था। लेकिन जो भीड़ असदुद्दीन ओवैसी को लेने वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पहुँची थी उस को देखकर अखिलेश और उनके पार्टी के कान खड़े हो गए।
कौन है आज़म खान
आज़म खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य है। और मुलायम सिंह यादव के बहुत करीबी है वो 9 बार रामपुर सदर सीट से विधायक दो बार राज्यसभा के सांसद और मौजूदा वक्त में रामपुर के लोकसभा सांसद है। आज़म खान पर आरोप है कि उन्होंने ज़ौहर यूनिवर्सिटी बनाने में उसके ज़मीनो के लेन देन कई सारे धांधली की है, और उनपे उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म खान के फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र बनाने का आरोप है। इसके अलावा द्वेष के रजनीत में उनपर बकरी चोरी, पाजेब चोरी, ईंट चोरी तो लिब्रेरी से किताबें चोरी के मुक़दमे लगे है।
आज़म खान उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के सबसे बड़े नेता माने जाते है। मगर जब से आज़म जेल में हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया और उनके कार्यकर्ता उनके बारे में कोई बयान नहीं दिया यही बात मुसलमानों का नागवार गुजर रही है। सपा को 2022 में सत्ता दिलाने में आज़म का किरदार बहुत मायने रखेगा इसलिए सारे विपक्षी पार्टियाँ आज़म और उनके परिवार वालों से मिल रहे है। अभी कांग्रस के नेता इमरान प्रतापगगढ़ी और भोपाल के विधायक आरिफ़ मसूद आज़म की पत्नी से मिले खबरों की माने तो ओवैसी भी आज़म या उनके परिवार से मिलने जाने वाले है, लेकिन अखिलेश यादव या समाजवादी पार्टी का कोई नेता अभी उनसे नहीं मिलने गया है हालाँकि विधायक तंज़ीन फ़ातिमा का एक बयान आया था की वो पार्टी के साथ है। और पार्टी उनके साथ ओवैसी का मुसलमानों में क्रेज़ बढ़ रहा है और उस क्रेज़ को आज़म जैसा नेता ही कम या यूँ कहे तो काट सकता है।
आज़म के क़द का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 में मोदी लहर होने के बाद भी वो खुद तो जीते ही रामपुर लोकसभा से सटी हुई अमरोहा, मुरादाबाद और संभल की सीटें भी जितवा लिये थे। अगर आज़म जेल से छूट जाते है और सपा के लिये प्रचार करते है तो ठीक नहीं तो 2022 में यूपी का मुसलमान किस तरफ़ जाएगा ये तो वक़्त ही बतायेगा।
(लेखक मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ मास कमुनीकेसन एंड जर्नालिस्म में रिसर्च स्कॉलर हैं, उनसे ajmalalikhan@manuu।edu।in पर संपर्क किया जा सकता है)