दिल्ली दंगा: जानें शाहरुख पठान को शरण देने वाले शख्स को अदालत ने क्या सज़ा सुनाई?

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगों के दौरान शाहरुख पठान को शरण देने के लिए दोषी ठहराए गए शख्स के प्रति नरमी दिखाते हुए उसे जेल में रहने की अवधि की सजा सुनाई। साथ ही 2,000 रुपये के जुर्माना लगाया। शाहरुख पठान ने उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक पुलिसकर्मी पर बंदूक तान दी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कलीम अहमद को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 216 के तहत दोषी ठहराया था। उस वक्त उसने अपने खिलाफ लगाए गए आरोप को स्वीकार कर लिया था। इसके साथ अदालत ने उसे दोषी ठहराया।

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क़ानूनी कवरेज़ करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ की ख़बर के मुताबिक़ अदालत ने कहा, “दोषी की पारिवारिक स्थिति, उसकी पूरी व्यक्तिगत स्थिति, अपराध की उसकी स्वैच्छिक दलील के तथ्य और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसके पश्चाताप कार्य पर विचार किया जाना चाहिए ताकि उसे खुद को सुधारने और उसकी भूमिका पर विचार करने का एक और मौका दिया जा सके। दोषी को उतनी ही सजा दी जाती है जितना अवधि वह जेल में गुजार चुका है। साथ ही उस पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है।”

कोर्ट का विचार था कि कलीम अहमद ने पश्चाताप दिखाया। राहत के लिए प्रार्थना की और उसने बताया कि शाहरुख पठान उसे गुमराह किया। अदालत ने कहा, “उसे वर्तमान मामले में 17.03.2020 से 07.09.2021 तक जेल में रह चुका है, जबकि वह पहले जेल में रह चुका है। इस अपराध में अधिकतम सजा तीन साल है।” कोर्ट ने पूरा मामले की जांच और सबूत जुटाने के लिए दिल्ली पुलिस की तारीफ की।

अदालत ने कहा, “हालांकि दोषी ने स्वैच्छिक रूप से आरोप स्वीकार किए और उसे दोषी ठहराया गया। फिर भी अदालत ने आरोप तय करके उसे दोषी ठहराया।” यह घटनाक्रम जाफराबाद थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 51/2020 के संबंध में संबंधित कार्यवाही में आया है। जज ने उसी दिन शाहरुख पठान और तीन अन्य के खिलाफ आरोप तय करते हुए कहा कि यह गैरकानूनी कृत्य करने वाले व्यक्तियों या समूहों का सामान्य मामला नहीं है।

एफआईआर उस घटना से संबंधित है जिसमें पठान को एक पुलिसकर्मी पर बंदूक तानते हुए पकड़ा गया था। उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया और इंटरनेट पर वायरल हो गई थीं। पठान पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 153ए, 186, 188, 307, 353, 505, 120बी और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि शाहरुख पठान फरार हो गया और दंगों के बाद उसका घर बंद पाया गया था।

गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस की एक टीम उसका पता लगाने के लिए उत्तर प्रदेश के शामली के लिए रवाना हुई और पता चला कि वह अपना ठिकाना बदलने के लिए शामली बस स्टैंड पर आ रहा है। पुलिस ने एक जाल बिछाया और उसे रोककर गिरफ्तार कर लिया गया। पठान ने तब मामले में अपनी संलिप्तता के बारे में खुलासा किया कि जब वह सोनीपत, हरियाणा को पार कर रहा था तो उसकी कार में खराबी आ गई। इसके बाद उसने अपने परिचित कलीम अहमद को बुलाया, जो तब मौके पर पहुंचा और उसे अपनी कार के साथ ले गया।

अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए कहा कि कलीम अहमद के सीडीआर से उसकी लोकेशन के अनुसार, उसका स्थान यूपी के शामली में था, जिसके बाद वह पानीपत, हरियाणा की ओर चला गया। कोर्ट ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि शाहरुख पठान पानीपत में कलीम का इंतजार कर रहा था और कलीम अहमद उसकी मदद के लिए वहां पहुंचा था।