इस्लाहुद्दीन अंसारी
एक नेता का सत्ता के सितम के शिकार हुए लोगों के बीच जाकर उनका हाल जानने का ये अंदाज़ वाक़ई सराहनीय है और जब जुल्म करने वाली सरकार योगी आदित्यनाथ की हो और जुल्म का शिकार तबका मुसलमान तब इस हालात में किसी कांग्रेसी नेता की इस कोशिश की दुगनी सराहना होनी चाहिए.
क्योंकि जब देश का मीडिया और सत्ताधारी पार्टी का सारा आईटी सेल दिन रात से बस इसी काम में जुटा हो की कैसे इस देश की सबसे पुरानी और वर्तमान की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को मुसलमानों की पार्टी घोषित कर दिया जाए तब एक पार्टी और उस पार्टी के नेता के रूप में सारे राजनीतिक नफ़ा नुकसान वाली चिंताओं को छोड़कर देशहित और इंसानियत की ख़ातिर प्रियंका गांधी का इस तरह से पीड़ित आवाम से मिलना अपने आप में ही बहोत सारी बातें कह जाता है.
बहरहाल कांग्रेस के दूसरे नेताओं को प्रियंका से सीखना चाहिए की हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने वाले चेहरों के सामने अगर सारे हिंदुस्तान की राजनीति करना है तो दिल से ये खौफ़ पूरी तरह निकालना ही पड़ेगा की अगर फलां के साथ खड़ा हुआ गया तो फलां की नजरों में क्या इमेज गढ़ दी जाएगी? क्योंकि मेरे हिसाब से इस देश में गांधी से बड़ा और सच्चा हिंदू आज तक़ कोई दूसरा पैदा नहीं हुआ और ना ही गांधी की तरह से मुसलमानों के साथ मजबूती से खड़ा रहने वाला कोई दूसरा नेता.
इस देश में नफ़रत की राजनीति को उसके इर्द-गिर्द ही जमा कीचड़ में ही गिराकर बेनकाब करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यही है जो प्रियंका ने यूपी में अंजाम दिया है। किसी के साथ हैं तो खुलकर रहिये सीना ठोंक कर रहिये ज़माने की चिंताएं छोड़ कर रहिये अन्यथा डर-डर कर किसी का साथ देने से अच्छा है की रहने ही दिया जाए. खामखां में आपका बिलावजह का डर एक पीड़ित को और भी ज्यादा पीड़ित कर देगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार, एंव ब्लॉगर हैं)