नई दिल्लीः दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को जिन सीटों के जीतने की उम्मीद सबसे ज्यादा थी उसमें दिल्ली की चांदनी चौक सीट भी शामिल थी। इस सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक अलका लांबा को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन आम आदमी पार्टी की लहर में अलका लांबा जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाईं। बता दें कि अलका ने 2015 में इसी सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था। लेकिन बीच में अरविंद केजरीवाल सरकार पर चांदनी चौक क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया, और वापस कांग्रेस की सदस्यता ले ली।
अलका लांबा ने चुनाव हारने के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं। इन ट्वीट में अलका ने दावा किया है कि वे दिल्ली की जनता की आवाज़ बनेंगे। उन्होंने कहा कि 2024 तक दिल्ली में काँग्रेस का एक भी सांसद नहीं, 2025 तक दिल्ली में काँग्रेस का एक भी विधायक नहीं, ना ही 2022 तक दिल्ली में एक भी कॉंग्रेस शासित MCD, फिर भी हम दिल्ली वालों की आवाज बनेंगे और लोगों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
एक और ट्वीट में उन्होंने कहा कि मैं परिणाम स्वीकार करती हूँ, पर हार नहीं, हिन्दू-मुस्लिम वोटों का पूरी तरह से ध्रुवीकरण किया गया. कांग्रेस पार्टी को अब नए चेहरों के साथ एक नई लड़ाई और दिल्ली की जनता के लिए एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार होना पड़ेगा. आज लड़ेंगे तो कल जीतेंगे भी.
बता दें कि चांदनी चौक सीट पर इस बार भी आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह स्वाने ने 50845 वोट हासिल किए हैं। वहीं भाजपा उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता को सिर्फ 21260 वोट मिले हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अलका लांबा को 3881 वोट मिले हैं।