नई दिल्लीः आज़ाद समाज पार्टी के सुप्रीमो चंद्रशेखर आज़ाद ने प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने केन्द्र सरकार को चेतावनी दी है कि या तो आरक्षण एवं पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान को 09वीं अनुसूची में शामिल किया जाए नहीं तो उनकी पार्टी देश भर में इस मांग को लेकर आंदोलन करेगी। बता दें कि इससे पहले भी चंद्रशेखर आज़ाद ने आरक्षण के बाबत एक और चिट्ठी लिखकर कहा था कि आरक्षण खैरात नहीं है।
अपनी चिट्ठी में पीएम मोदी को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर ने लिखा है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16(4) एवं अनुच्छेद 16(4A) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण हेतु सक्षम बनाता है। 2006 में एम. नागराज मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर कोई रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को कुछ मानदंडों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने नागराज फैसले को पुनः बरकरार रखा। लेकिन लगातार एक गहरी साजिश के तहत नागराज के फैसले के इतने साल बाद भी न तो सरकारों ने इस पर अमल किया और न ही इन मानदंडों को निष्क्रिय करने के लिए केंद्र सरकार ने कोई सार्थक कदम उठाया। अतः इन वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा सका। यह एससी एवं एसटी कर्मचारियों के साथ सरासर धोखा है।
उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी को अवगत कराना चाहता हूँ कि मंडल कमीशन रिपोर्ट की सिफ़ारिश संख्या 13.13 (2) में स्पष्ट कहा है कि ओबीसी को हर स्तर पर पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए। 2014 चुनाव से लगातार आपने खुद को ओबीसी बनाकर प्रस्तुत किया। आपने कई बार इमोशनल खेल भी खेला, खुद को पिछड़ा एवं पीड़ित बताया। ओबीसी समुदाय ने यह समझकर आपको वोट दिया कि आप ओबीसी आरक्षण हेतु क्रीमीलेयर मानक खत्म करेंगे एवं साथ ही पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करेंगे लेकिन आपने उन्हें झांसा ही दिया। आपकी सरकार में ओबीसी वर्ग के लोगों के अधिकारों का सबसे ज्यादा दमन हुआ है।
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकारी संस्थाओं का निजीकरण एवं लैटरल इंट्री के जरिए SC/ST, OBC आरक्षण तेजी से खत्म किया जा रहा है।आंकड़ों की बात करें तो 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सिर्फ 09 ओबीसी प्रोफेसर हैं जबकि अभी 304 ओबीसी सीट खाली है। कुल 89 केंद्रीय सचिवों में महज 01 एससी, 03 एसटी एवं 00 ओबीसी सचिव हैं। सुप्रीम कोर्ट के कुल 31 जजों में 00 आदिवासी, 02 ओबीसी और 01 दलित जज है जिनकी नियुक्ति भी 12 साल साल बाद हुई। देश के 24 हाई कोर्ट में एक भी दलित चीफ जस्टिस नहीं है। लगभग अन्य सभी क्षेत्रों में यही हाल है।
आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि विभागों में SC/ST, OBC कर्मचारियों के साथ भेदभाव जग जाहिर है। पदोन्नति में आरक्षण पर आपकी चुप्पी इन समुदायों के करोड़ों परिवारों को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। हम ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने देंगे। सरकार एवं प्रतिपक्ष की नीयत संदेह के घेरे में है। जब 24 घण्टे में सवर्ण आरक्षण पारित हो सकता है तो पदोन्नति में आरक्षण में देरी क्यों? अतः इस पत्र के माध्यम से हम आपसे मांग करते हैं कि आप SC/ST, OBC समुदाय के लिए पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करें। आरक्षण एवं पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान को 09वीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि इस संबंध में न्यायिक हस्तक्षेप हमेशा के लिए खत्म हो सके। अन्यथा जल्द ही आजाद समाज पार्टी सड़क पर उतरकर पदोन्नति में आरक्षण की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू करने जा रही है।