Category: विशेष रिपोर्ट

आजमगढ़ ने उपचुनाव में हर बार बदला इतिहास, सपा वर्चस्व और बसपा लड़ रही वजूद बचाने की लड़ाई

परवेज़ त्यागी लखनऊ: आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव का इतिहास बदलाव का रहा है। आम चुनाव में जीत दर्ज करने वाले दल को आजमगढ़ की जनता ने फिर उपचुनाव में….

इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहती है नमरा, पढ़ें हाईस्कूल में सहारनपुर की टॉपर छात्रा की कहानी

सहारनपुर: बीते रोज़ शुक्रवार को यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के परीणाम घोषित किए गए थे। इस परीक्षा में बेटियों ने कामयाबी का परचम लहराया है। इन्ही….

मुंबई: मदरसे के 22 हाफिज़-ए-क़ुरान छात्रों ने पास की SSC की परीक्षा

मुंबई: इन दिनों अबू तल्हा अंसारी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, उन्होंने एसएससी में 83.40 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परीक्षा उत्तीर्ण की है। एसएससी की परीक्षा के परिणाम….

जब कांग्रेस सस्थापंक ए.ओ.ह्यूम ने साड़ी पहन कर बचाई थी जान

इटावाः कांग्रेस सस्थापंक ए.ओ.ह्यूम को स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा में साड़ी पहनकर जान बचानी पड़ी थी। चौधरी चरण सिंह पीजी कालेज के….

मां बेचती थी चूड़ियां, बेटी वसीमा बनीं डिप्टी कलेक्टर, जानें कैसे हासिल किया मुक़ाम

मार्टिन लूथर ने कहा था “अगर आप उड़ नहीं सकते तो दौड़ो, अगर आप दौड़ नहीं सकते हो, तो चलो, अगर चल नहीं सकते, तो रैंगो, पर आगे बढ़ते रहो।”….

लोग हर युग में लड़ते-मरते हैं, उन्हें रोकने के लिए गांधी कभी-कभी पैदा होते हैं…

नोआखली में एक बूढ़ा महात्मा अकेला घूम रहा है. देश पागल हो चुकी भीड़ में तब्दील हो गया है. वह बूढ़ा पागल भीड़ को समझा रहा है. भीड़ में यह….

गुड़गांव में वक़्फ़ बोर्ड के तहत रजिस्टर्ड हैं 35 मस्जिदें, फिर भी नमाज़ पर विवाद क्यों?

अफ़रोज़ आलम साहिल आज कल गुड़गांव न्यूज़ से ग़ायब है। सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा नहीं है। क्या गुड़गांव में दर्जनों मस्जिदें एक साथ बन गए हैं कि लोगों….

सबसे अधिक मुस्लिम आईएस देने वाला संस्थान “जामिया मिल्लिया इस्लामिया”

जामिया में UPSC की तैयारी के लिए अलग से एक संस्थान है जिसको रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी कहते है, जिसके इस बार 23 परीक्षार्थी चयनित हुए हैं जिसमें इस साल की….

दिल्ली की इतनी मस्जिदों और वक्फ़ की संपत्तियों पर हैं अवैध कब्ज़े, चौंकाने वाली है संख्या

अफ़रोज़ आलम साहिल हमारी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि हम हमेशा तब जागते हैं, जब बहुत कुछ हमारे हाथ से निकल चुका होता है। मस्जिदों को लेकर भी हमारा….

मैंने इस्लाम क्यों स्वीकारा? पढ़ें फ़ातिमा सबरीमाला की इस्लाम में दाख़िल होने की दास्तां  

फ़ातिमा सबरीमाला मैं एक महिला हूं जिसने पारंपरिक माला पहनी है और इसी केरल में लगातार पांच वर्षों तक सबरीमाला का दौरा किया है। छठे वर्ष के दौरान, मेरे पिता….