Category: शख़्सियत

यादों में मंटो: जो बात की, ख़ुदा की क़सम लाजवाब की…

जाहिद ख़ान उर्दू अदब के बेमिसाल अफ़साना निगार सआदत हसन मंटो ने 43 साल की अपनी छोटी सी ज़िंदगानी में जी भरकर लिखा। गोया कि अपनी उम्र के 20-22 साल….

क्यों याद किए जा रहे हैं पुरानी दिल्ली के पुस्तक विक्रेता निज़ामउद्दीन

रवि चौधरी कभी दिल्ली की जामा मस्जिद के पास से गुज़रेंगे, तो उर्दू बाज़ार के पास आपको एक उर्दू की मशहूर किताब की दुकान दिखेगी, Kutub Khana Anjuman-e-Taraqqi-e-Urdu, मै कभी….

डॉ. अब्दुल क़दीर: वह महान शिक्षाविद्य जिनके संस्थान से पढ़कर MBBS बने 900 छात्र

सैय्यद आसिफ अली आज हम आपका परिचय मुल्क की एक ऐसी मशहूर-ओ-मारूफ शख्सियत से कराने जा रहे हैं जिनकी मेहनत और जज़्बे के किस्से अक्सर लोगों ने सुने हैं। और….

फ़ातिमा शेख: महिला सशक्तिकरण की असल नायिका

शाहिद नक़वी आज बड़े जोर-शोर से महिला सशक्तीकरण का प्रचार कर तमाम लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।लेकिन उस महान महिला को भूल गए जिन्होंने 175 साल पहले महिला शिक्षा….

फ़िराक़ गोरखपुरी, शायर ए हुस्न…

डॉ. शारिक अहमद खान वो बहुत की ख़ूबसूरत थीं। कोई उन्हें बुलबुल कहता तो कोई हंटरवाली। वो अक्सर अपने साथ हंटर लिए रहतीं।ग्लैमरस गर्ल ऑफ़ पार्लियामेंट कही जातीं। बहुत से….

ज़रा याद करो क़ुर्बानी: शेख भिखारी अंसारी 1857 की क्रांति का ऐसा योद्धा जिसने आखिरी सांस तक नहीं डाले हथियार

महान स्वतंत्रता सेनानी शेख भिखारी अंसारी का जन्म 2 अक्टूबर 1819 ई. में रांची जिला के होक्टे गांव में एक बुनकर अंसारी परिवार में हुआ था़। सन् 1857 की क्रांति….

इफ्तिखार अली खान पटौदी: हॉकी और क्रिकेट के स्टार

दिल्ली में सत्तर साल पहले भी 5 जनवरी, 1952 को कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। दिल्ली सर्दी से बचने के लिए घरों में छिपी हुई थी। सड़कों पर कम….

यादों में मौलाना मोहम्मद अली जौहर: दार ने इक सग-ए-दुनिया को ये बख़्शा है उरूज

फैज़ुल हसन मौलाना मोहम्मद अली जौहर हिन्दू-मुस्लिम एकता और आज़ादी के नायक मुहम्मद अली जौहर (10 दिसंबर 1878 – 4 जनवरी 1931), जिन्हें मौलाना मोहम्मद अली जौहर के नाम से….

जफर जंग: तुम याद करोगे हमारे बाद हमें

दिल्ली-6 की एक बेहद खास शख्सियत का नाम जफर जंग था। जफर जंग साहब पुरानी दिल्ली की आन बान शान, रवादारी, वाजादरी, खुश मिजाज़ अखलाक के मालिक थे। वे दिल्ली….

जन्मदिन विशेषः राहत इंदौरी, अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​

ज़ाहिद ख़ान उर्दू शायरी में राहत इंदौरी, वह चमकता रौशन नाम है, जिनकी पूरे तीन दशक तक मुशायरों में बादशाहत क़ायम रही। सिर्फ़ उनका नाम ही मुशायरों की कामयाबी की….