Category: शख़्सियत

प्रदीप कुमार: सिने जगत का वह सितारा जिसे अक्सर बादशाह का किरदार निभाना पसंद आता था

कभी माँ ज्यादा बीमार हो जाती तो घर पर एक प्रौढ़ पंडिज्जी सुबह का दाल-भात पकाने आने लगते ताकि हम भाई-बहनों को समय पर स्कूल भेजा जा सके। पंडिज्जी बाबू….

वह सूबेदार जिससे इन्दिरा गांधी ने कहा ‘देश की इज्जत तुम्हारे हाथ है भाकुनी!’

सूबेदार भाकुनी की उन दिनों कश्मीर पोस्टिंग थी. इकहत्तर की बात है. एक दिन इन्द्रा गांधी ने पाकिस्तान पर धावा बोल दिया. सुबह-सुबह सारी बटालियन को फॉलिन करा कर कमांडेंट….

विव रिचर्ड्स: वह अपने समय से कहीं आगे का खिलाड़ी था, सामाजिक सोच ने उसे और भी बड़ा इंसान बनाया

मेरे कमरे में पुल शॉट खेलते विव रिचर्ड्स का एक ब्लैक-एंड-व्हाइट फोटो टंगा हुआ है। कोई मुझसे पूछे मैं क्रिकेट के किस दृश्य को बार-बार देखना पसंद करूंगा तो मेरा….

इरफान इंजीनियर का लेख: महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, “सत्य ही ईश्वर है”।

सत्य शब्द का प्रयोग कई अर्थों में किया जाता है। एक अर्थ में वह एक दार्शनिक कथन या सिद्धांत हो सकता है, जो ज्ञान की हमारी खोज की उपज हो।….

जब ध्यानचंद ने हिटलर को दिया जवाब “मैने भारत का नमक खाया है, मैं भारतीय हूं और भारत के लिए ही खेलूंगा”

1936 के ओलिंपिक जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर के शहर बर्लिन में आयोजित हुए थे। तानाशाह की टीम को उसके घर में हराना आसान न था, लेकिन भारतीय टीम ने बिना….

जब आज़ादी की पहली रात को लाल क़िले से गूंजी थी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई

कृष्णकांत वे ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज पढ़ते थे और सरस्वती का स्मरण करके शहनाई की तान छेड़ते थे. वे ऐसे संत थे जिनकी शहनाई की….

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां: शहनाई का जादूगर जिसका दीवान हुआ ज़माना

ध्रुव गुप्त शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपने दौर की तीन गायिकाओं के मुरीद थे। उनमें  पहली थी बनारस की रसूलन बाई। किशोरावस्था में वे बड़े भाई शम्सुद्दीन के….

फॉदर स्टेन स्वामी : हम आपको कभी नहीं भूलेंगे

सुबोध बेद्रे अपनी गिरफ्तारी के दो दिन पहले रिकार्ड करवाए गए एक वीडियो संदेश में फॉदर स्टेन स्वामी ने कहा था, “मैं मूकदर्शक नहीं रहूंगा और भारत के सत्ताधारियों से….

नसीम अहमद: वह गुरु जिनके सम्मान में आज भी कुर्सी पर नहीं बैठते नीरज चोपड़ा

नई दिल्लीः नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली….

यादों में रफ़ी : उसके जैसा फ़नकार आया ही नहीं, गायकी से कहीं ज्यादा बड़ी है जिसकी शख़्सियत

सैय्यद इज़हार आरिफ़ 24 दिसंबर 1924 को जन्मे मुहम्मद रफ़ी की आज पुण्यतिथि है। रफ़ी के बारे में मैं अक्सर लिखता  रहा हूँ मगर उनकी अच्छाइयों और श्रेष्ठता की कहानी….