Category: चर्चा में

मुग़ल काल का आर्थिक पक्ष, पूरे यूरोप से भी अधिक थी मुग़ल काल में भारत की जीडीपी

मनोज अभिज्ञान मुग़लों के आने से पहले भारत की कोई मजबूत केंद्रीय सत्ता नहीं रह गई थी। बहुत सारे छोटे छोटे राज्य रह गए थे। कोई केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था नहीं….

पुष्परंजन का लेखः महंगा न पड़ जाए मक्का में मक्केश्वर नाथ की मांग

यह गप कुछ नया नहीं था कि मक्का में काले रंग का जो पत्थर है, वह ‘शिवलिंग‘ है। दशकों पहले से यह सब सुनता आ रहा था। नया इसमें है….

पंकज चतुर्वेदी का लेखः कश्मीर पांच महीने में मारे गए 17 नागरिक, मृतकों में 12 मुस्लिम

कश्मीर से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति, सहानुभूति और मत-दोहन जारी है लेकिन सारा देश क्यों चुप है? रजनीबाला एक दलित शिक्षक की हत्या….

रवीश का लेख: कश्मीरी पंडित भी भाजपा से अपना मुद्दा नहीं छीन सकते, वो भाजपा का था और रहेगा।

कश्मीर फाइल्स के समय भावुकता का ज्वार पैदा करा दिया गया था। भयंकर महंगाई और बेरोज़गारी से लुकाए-छिपाए हताश समर्थकों में जोश पैदा हो गया।जनता को अपनी तरह का होता….

कर्नाटकः स्कूली पाठ्यक्रम के सांप्रदायिकरण के खिलाफ सद्धभाव की उम्मीद जगाता बुद्धिजीवियों का विरोध

अब्दुल माजिद निज़ामी यह मुद्दा तब से सुर्खियों में है जब से कर्नाटक में हिंदू दक्षिणपंथियों ने हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया है। सबसे पहले, मुस्लिम लड़कियों को हिजाब….

कश्मीर में आतंकवाद: अनुच्छेद 370 पर अपनी पीठ थपथपाने वाले मोदी-शाह क्या अपने फैसले पर ग़ौर करेंगे?

पलश सुरजन जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या का सिलसिला रुक ही नहीं रहा है। इस बार आतंकवादियों ने कुलगाम के एक बैंक में घुसकर मैनेजर की गोली मारकर हत्या….

राम पुनियानी का लेख: नफरत फैलाने वाली गैंग के मुखिया स्वयं मोदी हैं!

गत 30 मई को नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बतौर आठ साल पूरे कर लिए। इस मौके पर सरकार के कार्यों और सफलताओं के बारे में कई दावे किए जा रहे….

रवीश का लेख: कश्मीर के आम मुसलमान भी मारे जा रहे हैं लेकिन वे भाग नहीं रहे हैं, उनके पास भागने के लिए कोई…

धारा 370 हटाते समय संसद में अमित शाह ने कहा था कि अक्साई चीन भी लेंगे। उसके बाद से इस मुद्दे पर कभी नहीं बोले।चीन पूर्वी लद्दाख में आ धमका….

कश्मीरी पंडित कब तक दंडित रहेंगे साहिबान?

सुसंस्कृति परिहार कश्मीर फाईल्स दिखाकर आतंकियों को जिस तरह हमारी सरकार ने उत्तेजित किया तथा देश में लोगों को जिस तरह उकसाने का काम किया उसका फलितार्थ हमारे सामने है।….

रवीश का लेख: हर किसी के दिमाग़ में भूसा भरा है तब भी भूसे का संकट है…

हर किसी के दिमाग़ में भूसा भरा है तब भी भूसे का संकट है। दूध का दाम बढ़ गया है। खुला दूध अस्सी रुपये लीटर बिकने लगा है। उम्मीद है,….