Category: चर्चा में

न्यू इंडिया में सवाल, गुजरात नशे का केंद्र कैसे बन गया?

संजय कुमार सिंह खबर सिर्फ द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर दी. गुजरात में नशीली ड्रग्स की एक और खेप बरामद होने के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और….

रवीश का लेखः गोदी मीडिया के न्यूज़ चैनल देखना अपना अपमान कराना है।

यह जानते हुए कि हमारे कहने से लोग न्यूज़ चैनल देखना बंद नहीं करेंगे। हम भी कहना बंद नहीं करेंगे। उसमें अब कुछ नहीं होता। पैसा और समय मत दीजिए।….

महिला उत्पीड़नः समस्या और समाधान

जहाँ आप काम करती हैं चाहे वो घर हो या कार्यस्थल अगर वहाँ आपको बारबार आपके सीनियर के द्वारा या बॉस के द्वारा अपमान किया जाता हो,आपके ऊपर तंज कसा….

‘राष्ट्रीयता असल में पिछली तरक्क़ी, परम्परा और अनुभवों की एक समाज के लिए सामूहिक याद है’: पंडित नेहरू

सुसंस्कृति परिहार ‘हिंदुस्तान की कहानी’ में पं.जवाहरलाल नेहरू एक जगह लिखते हैं ‘पिछली बातों के लिये अंधी-भक्ति बुरी होती है, साथ ही उनके लिए नफ़रत भी उतनी ही बुरी है।….

ड्रग केस में आर्यन खान को क्लीन चिट, क्या आर्यन को मिली शाहरुख ख़ान का बेटा होने की ‘सज़ा’

नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो की एसआईटी ने 2021 कॉर्डेलिया क्रूज शिप ड्रग केस में अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है और कथित तौर पर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे –….

सिलगेर: कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ आदिवासियों का प्रतिरोध आंदोलन

संजय पराते छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में उन पर हुए राजकीय दमन के खिलाफ चल रहे प्रतिरोध आंदोलन को एक साल,….

मोदी सरकार के आठ साल: विकास का झंडा और नफरत का एजेंडा

अनिल जैन वैश्विक स्तर पर भारत की साख सिर्फ आर्थिक मामलों में ही नहीं गिर रही है, बल्कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी, मानवाधिकार और मीडिया की आजादी में भी भारत….

भगत सिंह का लेख: मैं नास्तिक क्यों हूँ

“एक नया प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। क्या मैं किसी अहंकार के कारण सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी तथा सर्वज्ञानी ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करता हूँ? मेरे कुछ दोस्त – शायद….

सुसंस्कृति परिहार का लेख: कश्मीरियत पर हमले फिर भी वह है ज़िंदाबाद!

ज़र्रा ज़र्रा है मेरे कश्मीर का मेहमाननवाज़, रास्ते में पत्थरों ने भी दिया पानी मुझे जिस किसी शायर ने ये वादिए कश्मीर के बारे में कहा बहुत ख़ूब कहा है….

सब्र का मतलब यह नहीं है कि चुप-चाप ज़ुल्म सहते जाओ, ज़ुल्म हर समाज में नापसन्दीदा है

कोई भी इंसान ज़ुल्म से मुहब्बत नहीं करता, इसके बावजूद इतिहास के हर दौर में ज़ुल्म होता रहा है। इंसान की फ़ितरत है कि जब उसे ताक़त हासिल हो जाती….