Author: Shakeel Akhtar

Senior Journalist, Commentator on current affairs. Former Political Editor and Chief of Bureau Navbharat Times

राहुल के लिए बड़ा फैसला लेने का समय, अध्यक्ष बनेंगे या नहीं

अगर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनते तो क्या दो अक्तूबर से शुरू होने वाली उनकी भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव वैसा ही पड़ेगा जैसा कांग्रेस चाहती है?  और अध्यक्ष….

राष्ट्रपति चुनाव : विपक्ष ने मौका गंवा दिया

विपक्ष सड़क पर संघर्ष, चुनाव जीतने जैसी कई चीजें नहीं कर पा रहा मगर सही उम्मीदवार चुनने जैसा सामान्य काम भी नहीं कर पा रहा। राष्ट्रपति चुनाव में सबको मालूम….

राहुल को क्यों बनानी पड़ी मीडिया की नई टीम?

पिछले 8 साल से कांग्रेस एक ही बात कह रही है कि हम अपनी अच्छी योजनाओं का भी प्रचार नहीं कर पाए। हम प्रचार के मामले में कमजोर हैं। मगर….

मोदी की सारी क्षमता नकारात्मक कामों में लगा दी गई

हमें पता नहीं कि यह गलत है या सही। प्रधानमंत्री मोदी इसे समझेंगे या नाराज होंगे। मगर वे देश के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए उनके बारे में लिखने, सवाल उठाने की….

राहुल तो बेखौफ मगर कांग्रेसियों की हिम्मत कितनी?

अगर मोदी सरकार ने इसे पेशेंस का खेल बना दिया तो कांग्रेसी जल्दी हार जाएंगे। राहुल लड़ेंगे, आखिरी तक। उनमें हिम्मत बहुत है। मगर कांग्रेसी भाग लेंगे। अभी भी कितने….

जज्बात मुसलमानों को पीछे खीचेंगे, शिक्षा और खुला दिमाग आगे बढ़ाएंगे

शुक्रवार को जो हुआ उसकी आशंका किसी को नहीं थी। एक दो मुस्लिम संगठनों ने जरूर प्रिकाशन लेते हुए मुसलमानों से अपील की थी कि जुमे के दिन कोई बंद….

दांव पर भारत की छवि, मोदी मौन क्यों?

क्या प्रधानमंत्री मोदी को कमजोर किया जा रहा है? उनका कद कम करने की कोशिशें शुरु हो गई हैं? दुनिया में भारत की यह छवि खराब होना प्रधानमंत्री की ही….

हिन्दू-मुसलमान करने से न देश चल सकता है, न कश्मीर

बातों से कुछ नहीं हो सकता। मगर यह सरकार समझती है कि बातों से जग जीता जा सकता है! दूसरी चीज भारत का संस्थानिक ढांचा इतना योग्य और मजबूत है….

प्रवक्ताओं की पार्टी बन गई है कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ताओं की पार्टी बन गई है। अब प्रवक्ताओं से कोई जन समर्थन जुटा सकता है, चुनाव जीत सकता है पता नहीं। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला, राजीव….

राहुल से प्रेस क्लब तक निर्भयता का हर कदम उम्मीद जगाता है

जब सारी संस्थाएं हथियार डाल दें तब किसी छोटे से इंन्स्टिट्यूशन का खड़े रहना बहुत राहत और हिम्मत देता है। लोकतंत्र मूलत: संस्थाओं की स्वायत्तता और उनकी निर्भय भूमिका पर….