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Author: Dr. Salman Arshad

डॉ. सलमान अरशद स्वतंत्र पत्रकार एंव लेखक हैं। लखनऊ के रहने वाले हैं, और पटना में रहते हैं। उन्होंने दर्शन शास्त्र में पीएचडी की है।

अडानी, NDTV और पत्रकारिता

NDTV की लगभग 29 प्रतिशत हिस्सेदारी अडानी समूह ने ख़रीद ली है, ख़रीदने के लिए जो तरीक़ा अपनाया गया, उसे फ़िलहाल ग़लत कहा जा रहा है, मुमकिन है मामला कोर्ट….

बिहार में राजनीतिक परिवर्तन और उसके मायने

बिहार में नितीश कुमार द्वारा एनडीए से अलग होकर आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से इतना तो साफ़ है कि राष्ट्रीय जनता दल सहित अब तक जो पार्टियाँ….

सियासी साजिशों के ख़िलाफ़ जो लोग खड़े हैं वही इस मुल्क़ के मुस्तक़बिल हैं।

इस मुल्क़ में हिन्दू मुसलमान की सियासत  की उम्र सौ साल से ज़्यादा हो चुकी है। आज़ादी के बाद लगातार मुसलमान इस सियासत की बेदी पर मारा जा रहा है।….

रोटी की लड़ाई, मुसलमान से लड़ाई क्यों बने?

आप अपने इर्द गिर्द के लोगों को तेज़ी से एक ऐसे मनोरोग का शिकार होते देख रहे हैं जिसमें व्यक्ति को लगने लगता है कि अमुक जाति, अमुक धर्म या….

मुसलमानों के प्रति नफ़रत को छूने से क्यों डरते हैं राजनीतिक दल?

किसान मार कानून वापस लिए गए, ये बहुत बड़ी जीत है, लेकिन कुछ सवाल इसी वक्त कर लेना चाहिए। मुसलमान विरोधी साम्प्रदायिक नफ़रत हिंदुत्व के सियासत की ताक़त है। क्या….

शाकाहार और मांसाहार: जैसा खाये अन्न, वैसा होवे मन: यथार्थ या विभ्रम?

“जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन” बहुत पुरानी उक्ति है। मेरे जैन मित्र इस उक्ति का सबसे ज़्यादा उपयोग करते हैं और इसके ज़रिये शाकाहार को जस्टिफाई करते हैं। वो….

संवाद का संकट: जिस अर्थव्यवस्था ने समाज को ज़हरआलूदा किया है उसके खात्मे के अलावा…

क्या कभी ऐसा हुआ कि आप परिवार के सदस्यों के साथ किसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं और अचानक अपने महसूस किया इस बातचीत को यहीं रोक देना चाहिए….

दास-प्रथा तो गयी, जाति-प्रथा कब जायेगी?

भारतीय समाज, राजनीति, धर्म और दर्शन में समानता और स्वतंत्रता के भाव बेहद कमज़ोर हैं। समाज की तो पूरी आधारशिला ही असमानता और अन्याय पर आधारित जाति व्यवस्था पर सदियों….

किस चिड़िया का नाम है भारतीय संस्कृति?

क्या आप जानते हैं कि भारतीय संस्कृति किस चिड़िया का नाम है? अमूमन खानपान, रहन-सहन, तीज त्योहार, शादी-व्याह के तौर तरीकों और धर्म और धार्मिक कर्मकांड के सम्मिलित रूप को….

जीते कोई भी हारती तो जनता ही है

चुनाव के नतीजे आने के बाद कुछ लोग खुश हैं, कुछ लोग दुखी हैं, कुछ लोग हैरान हैं और कुछ लोग निराश. लेकिन दुनिया कभी भी ठहरती नहीं है, सृष्टि….