नई दिल्लीः उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के एक गांव में इंसानियत को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। यहां क्वारेंटाइन किए गए दो सवर्ण युवकों ने गांव की ही रहने वाली दलित भोजनमाता द्वारा बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया। मामला ग्राम प्रधान तक पहुंचा। इसके बाद ग्राम प्रधान ने पहले आरोपियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने तो उनके खिलाफ पटवारी चौकी में शिकायत दर्ज करा दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के भुमका गांव में हिमाचल प्रदेश और हल्द्वानी से आए चाचा-भतीजे को स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है। जहां भोजन तैयार करने की जिम्मेदारी स्कूल में भोजनमाता का काम करने वाली एक दलित महिला को दी गई है। लेकिन स्कूल में क्वॉरेंटाइन किए गए दो युवक इस महिला के हाथ से बना हुआ भोजन और दिया हुआ खाना खाने से इनकार कर रहे हैं। यही वजह है कि इन दोनों के लिए अब घर से बना खाना मंगाया जा रहा है।
चंद्रशेखर को आया गुस्सा
इस घटना पर आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस बनाम कास्ट वायरस। नैनीताल में कोरोना की वजह से कुछ लोगों को कोरोंटाइन सेंटर में रखा गया था। एक दलित महिला उनको खाना बनाकर परोसी तो सवर्णों ने खाना फेंक दिया। ये जातिवादी वायरस कोरोना से मर जाएंगे लेकिन भेदभाव नहीं छोड़ेंगे।
चंद्रशेखर ने 19 मई को यूपी के संभल जनपद में सपा नेता छोटेलाल दिवाकर और उनके पुत्र की हत्या पर भी योगी सरकार को कटहरे में खड़ा किया है। चंद्रशेखर ने कहा कि लॉक डाउन में योगी सरकार द्वारा जातिवादी अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है। उनके हौसले बुलंद है। संभल जिला में दलित नेता छोटेलाल दिवाकर एवं उनके पुत्र की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। इस रामराज्य में चुन चुनकर दलित आवाज का संहार किया जा रहा है। यूपी में जंगलराज!
उन्होंने बिहार सरकार पर भी निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि भूख की वजह से मजदूर गांव छोड़कर शहर गया और आज भूख की ही वजह से भूखा प्यासा मजदूर शहर से गांव पैदल आने पर मजबूर है। अगर बिहार में ही रोजगार हो तो मजदूर शहरों में धक्के खाने क्यों जाएगा।