Latest Posts

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील ‘बेटी को जहेज न देकर जायदाद में हिस्सा दे मुसलमान’

लखनऊः भारतीय मुसलमानों की बड़ी संस्थाओं में शुमार की जाने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने महंगी शादियों में दहेज़ के ख़िलाफ अपनी मुहिम के तहत एक अहम कांफ्रेंस की है, इस कांफ्रेंस मं देशभर से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और कई बड़े उलमा शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस में तमाम बड़े उलमा की मौजूदगी में यह सहमति बनी कि शरीयत के ऐतबार से सादगी से निकाह और बेटी को दहेज़ न देकर जायदाद (प्रॉपर्टी) में हिस्सा दिए जाने को लेकर मुसलमानों को जागरूक किया जाएगा।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

बोर्ड की तरफ से इस अहम कांफ्रेंस की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने की तकरीबन चार घंटे तक लगातार ऑनलाइन चली इस बैठक में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत बोर्ड के तमाम मेंबर मौजूद रहे। इसके अलावा जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के साथ कई बड़ी मुस्लिम संस्थाओं के सरपरस्त भी इस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए

शहर से लेकर गांव-गांव तक बने कमेटीः अरशद मदनी

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि दहेज के बढ़ते चलन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाना अति आवश्यक है, क्योंकि शरीयत में सादगी से निकाह करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि शहर-शहर और गांव-गांव ऐसी कमेटियां बनाई जाए जो लोगों को महंगी और खर्चीली शादियों के खिलाफ जागरूक कर सकें।

शरीयत और भारतीय क़ानून में भी जुर्म है जहेज की मांग

इसलाहे मुआशरा कमेटी के बैनर तले आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की ऑनलाइन इस कॉन्फ्रेंस में शामिल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एक्सिक्यूटिव कमिटी के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बताया कि इस कॉंफ्रेंस का मकसद मुसलमानों को जागरूक करना है जिस्से मुस्लिम समाज में फैली कुरीतियों को दूर किया जा सके। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अपील करते हुए कहा कि लोग अपनी बेटियों की शादी में जहेज न दे बल्कि अपनी विरासत में बेटी को शरियत के तहत हक जरूर दें क्योंकि जहेज की मांग शरीयत और मूल के कानून में जुर्म है।

मुस्लिम महिलाओं ने किया स्वागत

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की जहेज के खिलाफ इस मुहिम का स्वागत मुस्लिम महिलाओं ने किया है। समाजसेवी जैनब सिद्दीकी ने पर्सनल ला बोर्ड के इस कदम को मुस्लिम महिलाओं के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा कि मुस्लिम समाज में बेटियों को जहेज न देकर जायदाद में शरीयत के मुताबिक बताए गए हिस्से को देना एक मुनासिब और बेहतरीन कदम होगा। इससे जहेज के नाम पर जो महिलाओं का उत्पीड़न होता है उस पर रोक लग सकेगी।

बड़ी समस्या बन चुका है जहेज

गौरतलब है कि आम तौर पर जहेज को लेकर सैकड़ो मामले महिलाओं के उत्पीड़न के रोज सामने आते रहते हैं। जहेज को लेकर सख्त कानून के बावजूद भी कई मामलों में महिलाओं की हत्या तक कर दी जाती है और कई मामलों में महिलाएं खुदकुशी तक कर लेती हैं। इसके अलावा जो गरीब परिवार की लड़कियां होती हैं उनके निकाह में भी महंगी शादियों के चलन और जहेज के लेनदेन को लेकर रुकावटें पैदा होती हैं।