मोदी सरकार को एक और झटका, कृषि क़ानूनों को वापस कराने की मांग कर रहे हनुमान ने छोड़ा NDA का साथ

नई दिल्लीः राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने केन्द्र सरकार द्वारा बनाए तीन कृषि केंद्रीय क़ानूनों के विरोध में एनडीए से समर्थन वापस लेने की घोषणा है। बता दें कि हनुमान बेनीवाल शुरुआत से ही इन तीनों क़ानूनों का विरोध करते रहे हैं। एनडीए में रहते हुए उन्होंने चेतावनी दी थी अगर ये क़ानून वापस नहीं लिये जाते हैं तो वे एनडीए से समर्थन वापस ले लेंगे। बता दें कि जब मोदी सरकार इन तीनों बिलों को लेकर आई थी तो इसके विरोध में एनडीए के सबसे पुराने साथी शिरोमणी अकाली दल ने एनडीए छोड़ दिया था।

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बता दें कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाए कृषि सुधार क़ानून के विरोध में किसान एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली के चारों ओर दिल्ली में दाख़िल होने वाले रास्तों पर किसानों का आंदोलन जारी है। टीकरी बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर, गाज़ीपुर बॉर्डर पर लाखों किसान आंदोलन कर रहे हैं। इन किसानों का आरोप है कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए ये क़ानून कृषि का कॉर्पोरेटाईजशन करके किसान को उसी के खेत में गुलाम बनाने के लिये हैं।

यह आंदोलन पंजाब से शुरु हुआ लेकिन इस आंदोलन को हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है। एनडीए सांसद हनुमान बेनीवाल ने एनडीए छोड़ने की घोषणा से पहले दिल्ली की ओर कूच किया है। उन्होंने इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैंने शुरुआत से ही इन क़ानूनों का विरोध किया है क्योंकि ये क़ानून किसानों के हित में नहीं हैं।

क्या रहा बैठक का नतीजा

योगेन्द्र यादव ने बताया कि बैठक का एजेंडा ये हो और इस क्रम में हो- तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए स्वामीनाथन कमीशन द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गांरटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव।