एंकर ने ख्वाजा ग़रीब नवाज़ पर की थी अपमानजनक टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

नई दिल्लीः न्यूज़ 18 इंडिया के विवादित एंकर अमिश देवगन की मुश्किलों बढ़ना शुरु हो गईं हैं। इस विवादित एंकर ने इसी साल एक शो में महान सूफी संत ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी के लिए पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया है। साथ ही इस विवादित एंकर के खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को अजमेर स्थानांतरित कर दिया।

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न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि दंडात्मक कार्रवाई से पत्रकार अमीश देवगन को आठ जुलाई को दिया गया संरक्षण जारी रहेगा। न्यायालय ने देवगन के खिलाफ दायर सभी प्राथमिकियों को एक साथ करने और उन्हें अजमेर स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

क्या था मामला

इसी साल 15 जून को प्रसारित होने वाले ‘आर पार’ में अमिश देवगन द्वारा महान सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद इस टिप्पणी से नाराज़  लोगों ने इस विवादित एंकर के खिलाफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में सात एफआईआर दर्ज की गई हैं। अमिश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को एक “हमलावर” और “लुटेरे ” बताया था। जिसके बाद, देश भर में उनके खिलाफ कई पुलिस शिकायतें और एफआईआर दर्ज की गईं।

अमिश देवगन की याचिका अधिवक्ता विवेक जैन के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें अमिश पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है, जिनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना है), 153 A ( धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि और सद्भाव बिगाड़ने के लिए पूर्वाग्रही कार्य करने ), 505 ( जनता में शरारत करने के लिए बयानबाजी) व 34 ( सामान्य उद्देश्य ) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

मांगी थी माफी

अमिश देवगन ने महान सूफी संत ख्वाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती को “लुटेरे” के रूप में संदर्भित करने के लिए माफी भी मांगी थी और इसे “अनजाने में गलती” बताया था। उसने ट्वीट करते हुए कहा था “मेरी एक बहस में, मैंने अनजाने में ‘खिलजी’ को चिश्ती के रूप में संदर्भित किया। मैं ईमानदारी से इस गंभीर गलती के लिए माफी मांगता हूं और यह सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों की नाराज़गी का कारण हो सकता है, जिनकी मैं श्रद्धा करता हूं। मैंने अतीत में उनकी दरगाह पर आशीर्वाद मांगा था। मुझे इस गलती पर अफसोस है।”