मुकेश अम्बानी की ‘नयी दुकान’ जियोमार्ट ने भारत के थोक किराना बाजार को तबाह करना शुरू कर दिया है. जब जियोमार्ट की शुरुआत हुई थी तभी से यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि ऐसा होगा और वही हुआ है. आपके पड़ोस की जो किराना दुकान जियोमार्ट से सामान खरीद रही है उसे तो बड़ी बड़ी FMCG कम्पनी से कम कीमत सामान मिल रहा है लेकिन जो दुकानदार पुराने पैटर्न से आसपास के बड़े थोक बाजार से सामान खरीद रहे है उन्हें उसी सामान की ज्यादा कीमत देना पड़ रही है.
नवंबर में जियोमार्ट पार्टनर ऐप पर उत्पादों की कीमतों का आकलन करने पर पता चलता है कि मुंबई में कोई दुकानदार ऐप पर कोलगेट मैक्सफ्रेश मंजन के दो ट्यूब वाला पैक थोक में करीब 115 रुपए की कीमत पर खरीद सकता था. वही कोलगेट के परंपरागट बिक्री एजेंट के लिए इसी पैक की कीमत 154 रुपए यानी करीब एक तिहाई ज्यादा होती है.
भारत में लगभग छह लाख गांव हैं। इनमें थोक सप्लाई के लिए लगभग साढ़े चार लाख डिस्ट्रीब्यूटर हैं। अब तक ये थोक व्यापारी 3-5 फीसदी के मार्जिन पर किराना दुकानदारों को सामान बेचते आ रहे थे लेकिन जियोमार्ट बड़ी बल्क डीलिंग के जरिए छोटे दुकानदारों को वो डिस्काउंट दे रही है, जो लोकल डिस्ट्रीब्यूटर दे ही नही पा रहा है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियोमार्ट एप के चलते किराना सामान के डिस्ट्रीब्यूटर्स की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। इस स्थिति से डिस्ट्रीब्यूटर इतने परेशान है कि उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर एफएमसीजी कंपनियों ने रिलायंस को कम कीमतों पर उत्पाद बेचना बंद नहीं किया तो वह किराना स्टोर्स की आपूर्ति बाधित कर देंगे।
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने कहा कि इसके सदस्य 1 जनवरी से महाराष्ट्र में मैक्सफ्रेश उत्पाद की आपूर्ति करना बंद कर देंगे ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन में चार लाख एजेंट सदस्य हैं जियोमार्ट आने के बाद उनका काम 20-25 प्रतिशत तक कम हो गया है। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को उन्हें नौकरी से निकालना पड़ा है। वाहन तक बेचने पड़े हैं.
जो काम रिलायंस ने टेलीकॉम सेक्टर में किया वही काम अब किराना के थोक व्यापार में कर रहा है जियो मार्ट के पास वर्तमान में पांच लाख से अधिक खुदरा विक्रेता हैं और यह हर दिन बढ़ रहे हैं रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट और संसाधन हैं, जिससे वह प्रतिस्पर्धा को खत्म कर देगा लेकिन उनके इस प्रिडेटर एप्रोच से लाखो छोटे व्यापारी बेरोजगार हो जाएंगे।
खुदरा व्यापारी या तो किसानों की तरह एक बड़ा राजनीतिक आंदोलन करे या अपनी बर्बादी को चुपचाप देखते रहे, खुदरा व्यापारियों के पास यही दो ऑप्शन बचे है.
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार एंव पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)