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शरजील को ज़मानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- ना तो उसने किसी को हथियार उठाने को बोला, ना ही दंगा करने को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान देश विरोधी और भड़काऊ भाषण देने के आरोपी जेएनयू छात्र शरजील इमाम को जमानत दे दी है। शरजील इमाम की जमानत का आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने पारित किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को पारित अपने आदेश में कहा कि शरजील इमाम ने किसी को हथियार उठाने के लिए नहीं कहा और ना उनके भाषणों ने हिंसा भड़काई।

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ”यह ध्यान दिया जा सकता है कि निर्विवाद आधार पर न तो याचिकाकर्ता ने किसी को हथियार उठाने के लिए कहा और न ही याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए भाषण के परिणामस्वरूप कोई हिंसा भड़काई गई। सही आरोप और याचिकाकर्ता द्वारा कहे गए शब्दों या किए गए इशारों द्वारा प्रेरित प्रभाव की जांच उस मुकदमे में की जा सकती है जो अभी शुरू होनी है।”

पूरा मामला 16 जनवरी, 2020 को नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में दिए गए शरजील इमाम के भाषण से जुड़ा है। शरजील के खिलाफ अलीगढ़ में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) 153बी (आरोप, राष्ट्रीय-एकता के लिए पूर्वाग्रही दावे) और 505(2) के तहत कुल चार मामले दर्ज किए गए थे। इमाम 18 सितंबर, 2020 से जेल में है।

इमाम के वकील ने दलील देते हुए कहा कि शरजील ने वहां मौजूद लोगों को हथियार उठाने या हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाया नहीं था, जिसने देश की अखंडता और एकता को खतरे में डाला हो या किसी समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने का जैसा कोई काम किया हो। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने शरजील की जमानत का विरोध किया। दोनों वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद और मामले के गुण-दोष पर राय व्यक्त किए बिना, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो जमानतदारों के साथ 50-50 हजार रु के निजी मुचलके पर शरजील की सशर्त जमानत मंजूर की।

बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शरजील इमाम को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने 28 जनवरी 2020 को शरजील के खिलाफ ये कार्रवाई की थी।

सभार जनसत्ता