90 के अहमद को ‘अखिलेश’ का अभयदान! ‘टीपू’ का नारा नौजवानों के नाम और भरोसा उम्रदराजों पर अधिक

परवेज़ त्यागी

सूबे से देश तक की सियासत में करीब-करीब सभी राजनैतिक दलों में युवा जोश औ नौजवानों को लेकर नारों का चलन पिछले एक दशक से खूब सुनाई पड़ रहा है। अगर गौर करें तो काफी हद तक भाजपा और कांग्रेस में नारों को सार्थक करने के प्रयास भी समय-समय पर सामने आए हैं। मग़र इसके इतर समाजवादी पार्टी में लिए जा रहे कुछ निर्णय युवा जोश के नारों को ठंडा कर रहें हैं। वजह कुछ भी हो मग़र इसकी झलक सपा प्रत्याशियों की जारी हुई विधान परिषद् सदस्य (एमएलसी) की सूची में साफ दिखाई पड़ रही है।

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सपा ने अपने जिन दो प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है, उसमें क़रीब नब्बे (90) बरस के बुजुर्ग नेता अहमद हसन और (75) बरस के आसपास की राजेन्द्र चौधरी की उम्र बताई जाती है। अपने करीबी बुजुर्ग नेताओं को सियासी अभयदान देने वाले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के इस कदम के साफ संकेत हैं कि उनका नारा नौजवानों के नाम जरूर है, लेकिन उनको आज भी युवा के जोश से अधिक बुजुर्गों के तजुर्बों पर भरोसा है। हालांकि भरोसे के पीछे की वजह क्या है, यह तो उनसे बेहतर कोई नहीं जानता है, लेकिन उनके इस कदम से पार्टी के लिए जवानी कुर्बान कर देने का नारा देने वालों को जोर का झटका धीरे से जरूर लगा है।

दबी जबान में विरोध पर सुप्रीमो की नाराजगी का डर

उम्रदराज नेताओं के प्रत्याशी बनाने पर सपा में दबी जबान में ही सही पर विरोध के स्वर तो उभर रहे हैं, लेकिन सुप्रीमो की नाराजगी का डर भी विरोध करने वालों को सता रहा है। कुछ विधायकों ने भी इशारों ही इशारों में प्रत्याशियों के उम्रदराज होने पर नाराजगी तो जाहिर की, मगर वो अपने टिकट को लेकर भी चिंतित दिखाई दिए। कुछ का तो यहां तक भी कहना था कि सपा के इस निर्णय का फायदा भविष्य में सत्ताधारी दल को हो सकता है।

आशु के अरमानों पर फिर गया पानी

नेताजी के बेहद करीबी कहे जाने वाले सपा नेता आशु मलिक के फिर से सदन में पहुंचे के अरमानों पर अखिलेश ने पानी फेर दिया है। पार्टी के नेताओं से लेकर सियासी सूझबूझ रखने वालों में इस बात को लेकर खासी चर्चा है। चर्चा होने की वजह भी माकूल है। कुछ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके द्वारा फिर से सदन में जाने के शत प्रतिशत दावे कि जा रहे थे, मग़र पार्टी सुप्रीमो के फैसले ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। वहीं, सुप्रीमों ने अभी तक संरक्षक के सहारे सियासी बिसात बिछाने वालों को संदेश भी दे दिया।

 

भाजपा की सूची पर विपक्ष की नजर

विधान परिषद् सदस्य की एक दर्जन सीटों पर चुनाव हो रहा है। सत्ताधारी भाजपा के खाते में 10 सीटें जाना तय है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि वह अपने 11 प्रत्याशी मैदान मे उतार सकती है। अभी तक भाजपा ने इस चुनाव के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं और विपक्ष की नजर उसकी प्रत्याशी सूची पर लगी हुई है। अगर भाजपा 10 प्रत्याशी की सूची जारी करती है तो सभी सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तय है। यह भी तय है कि अगर बीजेपी ने 10 से अधिक नामों का ऐलान किया तो एमएलसी चुनाव में मतदान की स्थिति बनेगी। उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान के मद्देनजर भी भाजपा की सूची पर समूचे विपक्ष की नजर है।