विक्रम सिंह चौहान
अखिल गोगोई की चर्चा क्यों नहीं हो रही है? अखिल गोगोई दिसंबर 2019 से असम के जेल में बंद हैं। नागरिकता कानून का विरोध करने पर उनपर यूएपीए लगा दिया गया। अभी कल उन्हें एनआईए कोर्ट ने यूएपीए के एक मामले चाबुआ से बरी किया है। लेकिन अभी रिहा होने की राह में रोड़े हैं,क्योंकि एक दूसरे मामले चांदमारी केस की सुनवाई जारी है। अखिल असाधारण लड़ाके हैं। सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान उनपर 12 केस दर्ज किए गए,बाद में दो मामलों में यूएपीए लगा दिया गया।
अखिल गोगोई के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, हिंसा भड़काने, दो संप्रदायों के बीच वैमनस्यता पैदा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष खतरा पैदा करने के आरोप में केस लगाए गए।कोर्ट में पुलिस ने यह आरोप भी लगाया कि वे अपने दोस्तों को कॉमरेड बोलते हैं! अखिल को जेल में शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई। जेल में उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ा पर जमानत नहीं दी गई। अखिल इससे हार मानने के बजाय विधानसभा चुनाव जेल में रहकर ही लड़ा, और शिवसागर सीट से दर्ज किया। इस सीट में जेल में बंद अखिल गोगोई के खिलाफ प्रचार करने मोदी-शाह दोनों आये,पर अखिल के सामने हार गए।
अखिल गोगोई की 85 वर्षीय माँ प्रियदा गोगोई बेटे के लिए चट्टान बनकर खड़ी रहीं। विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसागर में एक-एक घर गईं।माँ ने लोगों से कहा,”मेरे बेटे अखिल ने क्या अपराध किया, जो उसे डेढ़ साल से जेल में डाल रखा है। असमिया जाति और यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाना क्या गुनाह है? मेरा बेटा कोई चोर या डकैत नहीं, जिसे सरकार ने क़ैद कर रखा है।” यह बात लोगों को अंदर तक पसीजा और नतीजा अखिल गोगोई की ऐतिहासिक जीत का रहा। राज्य के पहले व्यक्ति जिसने जेल से चुनाव लड़कर जीता और जेल में ही शपथ लीं।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिश्व शर्मा अखिल को मानसिक तौर पर अस्थिर यानी पागल बोलते हैं। लेकिन वो दिन दूर नहीं जब अखिल जेल से बाहर आएंगे और कुचले जा चुके आंदोलन में फिर से जान फूकेंगे। बीजेपी इसी बात से डरती है। अखिल को रोक पाना अब इस सरकार के बस की बात नहीं है। सरकार से बड़ा चेहरा युवाओं में अखिल का है, और जिसके सिर पर 85 वर्षीय माँ का आशीर्वाद हो उसे कोई जेल भला कब तक कैद में रख पायेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार एंव सोशल एक्टिविस्ट हैं, ये उनके निजी विचार हैं)