न कोई ख़ून का रिश्ता, न समान मज़हब, फिर भी हाथों पर सजती है रेशम की डोर

मुज़फ्फरनगर तो पहले से ही ‘मुहब्बतनगर’ के नाम से मशहूर है। मुल्क के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी ने बरसों पहले जो लिखा वह मुज़फ्फरनगर में साफ दिखता है। उन्होंने लिखा था ‘मजहब की खराबी है, न अखलाक की पस्ती। दुनिया के मसाइब का सबब और ही कुछ है।’ भले ही पूरे देश में कैसा ही माहौल बनाने की कोशिश चल रही हो, मगर मुजफ्फरनगर में मज़हब की दीवारें बौनी हो जाती है। यहां हर बरस खुर्शीद फात्मा रवि के हाथ में राखी बांधती है, तो मौ. तनवीर के हाथ पर अलका का रेशम का धागा सजता है।

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मुज़फ्फरनगर में नगर पालिका के सभासद सत्तार मंसूरी के हाथ में पिछले 25 साल से उनकी मुंह बोली बहन सरिता पाराशर रेशम की डोर बांधती है। इनके बीच न तो कोई खून का रिश्ता है और न ही मज़हब की कोई समानता, लेकिन बरसों से ऐसे ही सैंकड़ों लोग जिले में रक्षाबंधन के पर्व पर इस पवित्र बंधन को निभा रहे हैं। बात यदि खतौली की हो तो यहां के मौहल्ला जैन नगर निवासी मोहम्मद तनवीर बताते हैं कि उनके मोहल्ले में उनके दोस्त आलोक शर्मा हैं। लगभग 37 साल पहले आलोक की बहन अलका ने उसे राखी बांधी थी। तनवीर ने पहली रक्षाबंधन पर अपनी मां से एक रुपया लेकर अलका को उपहार दिया था। इसके बाद यह सिलसिला बदस्तूर है।

रक्षाबंधन के पर्व पर तनवीर देश में कहीं भी हो, वहां से अपना काम-काज छोड़कर घर आते है। अलका शर्मा वर्तमान में सरकारी शिक्षिका हैं। उनकी तैनाती खतौली क्षेत्र में ही है। रविवार को वह अपने भाई आलोक को राखी बांधने के बाद तनवीर के घर पहुंचीं। जहां उन्होंने अपने मुंह बोले भाई तनवीर की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। शिक्षिका अलका का कहना था कि कोई साल ऐसा नहीं गया, जब उन्होंने तनवीर के हाथ पर रक्षा सूत्र न बांधा हो। जैसे वे आलोक के हाथ में राखी का पवित्र धागा बांधती है, ठीक इसी तरह वे तनवीर को भी सगे भाई की तरह प्यार देते हुए उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधती है।

बता दें कि जिले में अलका व तनवीर के साथ ऐसे सैंकड़ों मुंह बोले भाई-बहन है, जो बरसों से इस रिश्ते को आगे बढाए हुए हैं। इनमें से सभासद सत्तार मंसूरी भी एक हैं। सभासद सत्तार मंसूरी बताते है कि 25 साल से उनकी मुह बोली बहन सरिता उनको राखी बांधती आ रही है। वे कारोबार के सिलसिले में देश के किसी कोने में क्यो न हो, वे रक्षा बंधन पर मुज़फ्फरनगर पहुंच जाते है ताकि वे राखी बन्धवा सके। सुजड़ू में श्रुति सिंह मुँह बोले भाई हाजी अमीर गनिम व उनके भाइयों को बरसो से राखी बांध रही है।