मोहम्मद साहब का चित्र छापने वाले प्रकाशन ने मांगी माफी, मौलाना महमूद मदनी को लिखा पत्र

नई दिल्लीः जमीअत उलमा हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने हज़रत मौहम्मद साहब (स.अ.) का चित्र छापने पर पुस्तक के प्रकाषक को पत्र लिख घोर विरोध जताया है। जमीअत उलमा हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित एवं रेनू बिश्रोई नामक लेखक द्वारा सम्पादित कक्षा चार की पुस्तक में प्रकाशित चित्र पर आपत्ति जताई है।

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मौलाना मदनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रकाशन ने सोशल साइंस पुस्तक के अध्याय ‘दे शोव्ड अस दा वे्य‘ के पृष्ठ संख्या-89 पर मुस्लमानों के आखिरी पैगम्बर हजरत मौहम्मद साहब (स.अ.) का चित्र छापने पर पुस्तक के प्रकाषक को पत्र लिख घोर विरोध जताया तथा पुस्तक को बाजार से वापस मंगाने तथा भविष्य में इस तरह के आपत्तिजनक प्रकाषन से एहतियात बरतने को कहा है। उन्होंने प्रकाषक को आगाह किया है कि भविश्य में ऐसी किसी भी प्रकाशन करने प्रकाशक के विरूद्ध आवष्यक कानूनी कार्यवाही की जायेगी।

मौलाना मदनी ने कहा कि पैगंबर-ए- इस्लाम का कोई वास्तविक चित्र मौजूद नहीं है और इस्लाम धर्म के अनुसार उनका काल्पनिक चित्र छापना वर्जित और निन्दनीय कार्य है तथा उनके चित्र प्रकाशन से मुस्लिम समाज की धार्मिक भावनाओं का अनादर हुआ है तथा उनमें रंज व रोश का माहौल है।

क्या कहा प्रकाशन ने

मौलाना मदनी के पत्र के जवाब में विद्या प्रकाशन मंदिर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेषक ने सफाई पेश करते हुए मौलाना मदनी को संबोधित पत्र में लिखा है कि ‘‘विगत वर्ष कोराना काल में यह मामला जैसे ही प्रकाश में आया था प्रकाशन ने तत्काल प्रभाव से कदम उठाते हुए इस पुस्तक को बाजार से वापिस मंगा लिया था। हम आपको विश्वास दिलाते है कि प्रकाशन अपनी इस बड़ी भूल के प्रति अफसोस प्रकट करता है और सुनिश्चित करता है कि भविश्य में ऐसी भूल फिर कभी नहीं होगी।