काज़ी अमजद अली
मुज़फ्फरनगर: कोरोना महामारी जहाँ इन्सानी जिंदगियों के लिये खतरनाक बनी हुई है। वहीं गरीब परिवारों के लिये एक अभिशाप भी बन गयी है।कोरोना महामारी के कारण मजदूर परिवारों के सामने जहाँ आर्थिक संकट बना हुआ है। वही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये बच्चों की ऑन लाइन पढ़ाई का फरमान जारी कर दिया गया है। जिससे गरीब परिवारों के बच्चों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो गयी है।मंहगा फोन खरीद कर उसमें मंहगा डाटा डलवाने का प्रबन्ध किस प्रकार से अपने बच्चों की पढ़ाई गरीब मज़दूर परिवार करें ये बड़ी समस्या पैदा हो गयी है वहीं मंहगा मोबाइल न होने की सूरत में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने के साथ साथ गरीब परिवारों के बच्चों के हीन भावना से ग्रस्त होने अनावश्यक मानसिक दबाव बढ़ने के अलावा असमानता की आशंका व्याप्त हो गयी।
मुज़फ्फरनगर जिले के मोरना ब्लॉक् में लगभग आधा दर्जन इन्टरकॉलिज को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जिनमे ग्रामीण क्षेत्र के हज़ारों छात्र छात्राओ के लिए मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने के साथ-किताबें ड्रेस आदि की व्यवस्था सरकार द्वारा निःशुल्क की जाती है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर 15 से 18 वर्ष के छात्र -छात्राओं का निःशुल्क टीकाकरण भी सरकार द्वारा किया जा रहा है। किन्तु ऑन लाइन शिक्षा के फरमान ने गरीब परिवारों के लिये नई समस्या उतपन्न कर दी है। भोकरहेड़ी, मोरना क्षेत्र के ग्रामीणो ने बताया कि उनके पास महंगा फोन खरीदने के पैसे नही हैं। बच्चे पढ़ाई के लिये एंड्रॉइड फोन की जिद कर रहे हैं। एंड्रॉइड फोन न होने के कारण बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं जिसका उन्हें दुःख है। दूसरे परिवारों के बच्चे उनसे आगे निकल जाएंगे तथा वह गरीब होने के कारण पीछे छूट जाएंगे वहीं कुछ महिलाओं ने बताया।
मोबाइल का इंटरनेट डाटा दिन प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है।सरकार को इस ओर कुछ सोचना चाहिये सरकार छात्र छात्राओं के लिये सस्ते फोन व सस्ते इंटरनेट डाटा की भी व्यवस्था कर सकती है।अगर यही हाल रहा तो गरीब परिवारों के बच्चे पिछड़ जायेगे तथा हीन भावना से ग्रस्त होकर मानसिक तनाव में आ सकते हैं।तथा उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सरकार व शिक्षा विभाग को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। तथा सबको समान शिक्षा प्रदान करने के अपने उद्देश्य को लेकर गम्भीरता से प्रयास करना होगा ।