कभी भारत पर था इनका राज़, आज झुग्गी झोपड़ी में रह रहे हैं मुगलों के वशंज, देखें तस्वीरें

मुगल शासकों ने भारत को कुछ ऐसे मशूहर स्मारक और किले दिए हैं जिसका दीदार आज भी लोग करते हैं. इनका शाही अंदाज और रहन सहन सबसे हटकर था. बहादुर शाह ज़फर मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक थे. लेकिन कहा जाता है कि उनके परिवार के लोग आज भी भारत में मौजूद हैं. इन्हीं बहादुर शाह ज़फर के परपोते की पत्नी हैं, सुल्ताना बेगम, जो आज की तारीख में कोलकाता के एक स्लम में रहती हैं.

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आज झुग्गी झोपड़ी में रह रहे हैं मुगलों के वशंज, कभी पूरे भारत पर था इनका राज, देखें तस्वीरें - 1LiveNews

मुग़ल शासन जब अपने चरम पर था तब पूरी दुनिया में कम से कम एक चौथाई हिस्सों पर मुगलों का राज़ था. माना जाता है कि बहादुर शाह ज़फर के परपोते की पत्नी हैं, सुल्ताना बेगम. जो आज की तारीख में कोलकाता के एक स्लम में रहती हैं. सुल्ताना बहुत मुश्किल से घर के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाती हैं, उन्हें सरकार की तरफ से 6000 रुपए मिलते हैं जो परिवार को पालने के लिए बेहद कम रकम हैं.

सुल्ताना अपनी माली हालत से परेशान थी और इसमें सुधार के लिए उन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी को खत लिखा था. उस वक्त उन्हें सरकार ने 50000 रूपये दिए थे और एक घर दिया था, लेकिन कुछ लोगों ने उनसे वो सब भी छीन लिया और उन्हें सड़क पर रहने को मजबूर होना पड़ा. इसके बाद सुल्ताना बेगम ने चाय की दुकान तक चलाई, जिससे घर का खर्च चल सके, लेकिन वो भी बंद हो गई. सुल्ताना कहती हैं ‘हमारे स्व. पति बेदर बख्त मुझसे कहा करते थे, ‘हम इज्ज़तदार राजशाही घराने से आते हैं, हम भीख नहीं मांग सकते.’ आज हालात ये हैं कि स्लम के एक 2 रूम के चॉल में रहने को मजबूर हैं सुल्ताना.

बादशाह बहादुर शाह जफर की पौत्रवधू सुल्‍तानाजब 1857 की क्रांति की शुरुआत हुई थी तब क्रांतिकारियों ने बहादुर शाह ज़फर के साथ-साथ 57 के करीब अंग्रेज सिपाहियों को कैद कर लिया गया था, जिन्हें बहादुरशाह ज़फर के महल में ही रखा गया था. कहा जाता है कि उनके परिवार के कुछ लोग मारे गए वहीं कुछ बर्मा और कुछ पाकिस्तान चले गए. लेकिन सुल्ताना और उनके पति यहीं रह गए. आज सुल्ताना कहती हैं, ‘भारत सरकार ताज महल, लाल किला, शालीमार गार्डन जैसी जगहों से करोड़ों पैसे कमाती है, मुझे जीने भर का आसरा तो मिल ही सकता है. जिससे मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी शांति और चैन से बिता सकूं’