कृष्णकांत
क्रोनोलॉजी ये है कि हिंदुओं को मुसलमानों से डराओ. इसी कड़ी में अपने विरोधी की सरकार को पाकिस्तानी सरकार बताओ, जहां अपनी पार्टी की सरकार न हो उसे पीओके कहो. इसका चरम ये है कि अपने खिलाफ हुए हिंदुओं को ही मुसलमान बताओ, जैसे मुसलमान मनुष्य नहीं होते. जो ये कहता है कि फलाना समुदाय या समूह देश के लिए खतरा है, उसकी टोकरी में आप भी किसी न किसी दिन शामिल हो ही जाएंगे. खैर, धार्मिक उन्माद की सनक ऐसी ही होती है. व्यक्ति हो या समाज, सरकार हो या पार्टी, धार्मिक उन्माद और नफरत की राजनीति विवेक छीन लेते हैं.
बहरहाल, रिया का मसला फुस्स हो चुका है. उन पर पहले मर्डर या उकसाने का आरोप लगाया गया, लेकिन जेल हुई गांजे की पुड़िया लाने के लिए. अब इसकी संभावना ज्यादा है कि रिया को जमानत मिल जाए. इसलिए देश को भरमाए रखने के लिए नया तमाशा चाहिए. उसके लिए कंगना सदाबहार तमाशा हैं. पिछले महीनों में कंगना ने साबित किया है कि वे किसी भी मौसम में मनोरंजन कम नहीं होने देंगी. ट्विटर पर कोई न कोई मिल ही जाएगा, जिससे वे भिड़ जाएंगी.
सीमा पर लगातार झड़प हो रही है. अर्थव्यस्था पाताल लोक में है. करोड़ों लोग बेरोजगारी के दलदल में फंस चुके हैं. करोड़ों की संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं. जनता का ध्यान उस तरफ न जाए, इसके लिए मीडिया चैनलों ने सुपारी ली है. कंगना की कहानी का रस जब तक कसैला होगा, तब तक नया तमाशा मिल जाएगा.
भारत का पशुपालक समाज
भारत आदि काल से पशुपालक समाज है। जबसे हमारे ग्रंथ मौजूद हैं, तबसे पशुपालन के प्रमाण मौजूद हैं। लेकिन इधर कुछ साल से कुछ लोगों को भरम हो गया है कि वे आदि काल से गाय पालने वाले देश को गाय पालना सिखा देंगे। अव्वल तो ये विचार ही कितना हास्यास्पद है कि कोई अपनी अम्मा को अम्मा बनना सिखाए! इस सनक का नतीजा आजकल पूरे उत्तर प्रदेश के खेत-सिवान में देखने को मिल रहा है। खेती के साथ-साथ गोवंशीय पशुओं की ऐसी छीछालेदर कभी नहीं हुई।
अब जिनको लगता है कि वे गऊ पालक समाज को गऊ पालन सिखा देंगे तो उनकी मेरी सलाह है कि तुम तो अपना इलाज कराओ चचा! जब हम चौथी-पांचवीं में पढ़ते थे, तब तुम हमका मिले होते तो हम तभी तुमको गऊ पालन और हल चालन सिखा देते!