यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुल्डोजर अपराध, भष्ट्राचार, अनियमितता, राष्ट्रविरोध, अवैध कब्जों, माफियागीरी, दबंगई, शोषण, नारी के अपमान.. के खिलाफ एक्शन का प्रतीक बताया जा रहा है। इसकी शुरुआत मुस्लिम माफियाओं की अवैध बिल्डिंगों को ढाहने से हुई तो विपक्ष ने ये कहना शुरू किया कि बुलडोजर मुसलमानों के खिलाफ उन्हें दबाने-डराने के एक्शन की श्रृंखला है। भले ही ये सच हो या न हो पर मुस्लिम समाज को इस बात के डर का फायदा मिला है। वे अपने बीच के अपराधियों से दूरी बनाने लगे। आम मुसलमान अनुशासन और कानून व्यवस्था के पालन की तरफ बढ़ने लगा।
भले ही ये सोच ग़लत हो पर ये सोच भी लाभकारी साबित हो रही है कि हिन्दू किसी किस्म के कोई भी ग़लत काम करेंगे तो शायद उन्हें माफ कर दिया जाए, छोड़ दिया जाए, उनकी गलती को अनदेखा कर दिया जाए, नियम को शिथिल कर दिया जाए पर मुसलमान कोई गलती करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
इसलिए आप खुद गौर करके देख लीजिए अब पहले की अपेक्षा अल्पसंख्यक समाज में बहुत कुछ सुधार दिखेगा। पढ़ाई का स्तर बढ़ रहा हैं, संकीर्णता कम हो रही है। दूसरे धर्म के लोगों से दूरियां कम हो रही हैं। उलमा एकता और मोहब्बत के पैगाम की बातें कर रहे हैं। भाजपा की कमियों पर कम खूबियों के जिक्र किए जा रहे हैं। किसी त्योहार के मौके पर भी किसी किस्म की हुड़दंग अब नहीं देखने को मिलती।
योगी का डर कड़वा ज़रुर है लेकिन दवाई की तरह फायदा दे रहा है। डर के आगे की जीत , सफलताओं और विकास के रास्ते दिखा रही है। शिक्षा विद सर सय्यद अहमद ख़ान ने मुस्लिम समाज को शिक्षित करने की कोशिश की थी। आज के दौर में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त शासनकाल मुस्लिम समाज सुधार में अहम भूमिका निभा रहा हे। एक आंकड़े के मुताबिक अल्पसंख्यक वर्ग में तेजी से अनुशासन विकसित हो रहा है। पहले की अपेक्षा अब अपराधिक और असामाजिक प्रवृत्तियों में मुस्लिम नौजवानों की संलिप्तता घट रही है।
शिक्षा और रोजगार के साथ सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं को हासिल करने में भी अल्पसंख्यकों की जागरूकता बहुसंख्यक समाज से अधिक है। योगी राज में साम्प्रदायिक दंगों पर विराम लगने से अल्पसंख्यक महफूज़ है, उसकी जान-माल का नुक़सान नहीं हो रहा है। क्योंकि ये सच है कि साम्प्रदायिक दंगों में हमेशा उस समाज को ज्यादा दर्द झेलना पड़ता है जिनकी संख्या कम होती है।
यूपी में योगी सरकार की सख्त नीतियों से मुस्लिम समाज के युवाओं में जहां सर्वाधिक अनुशासन पैदा हो रहा है वहीं मुस्लिम महिलाएं और युवतियों में सुरक्षा और आजादी का आत्मविश्वास उनकी तरक्क़ी का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
तुष्टिकरण की बैसाखी छोड़कर वे खुद अपने पैरों से अपनी मंजिल तलाश रहे हैं। भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ सख्त कानून व्यवस्था ने ये अहसास करा दिया है कि गलत काम का नतीजा ग़लत ही होगा। ग़लत रास्ते पर चलने वाले भी सही राहें तलाशने लगे हैं। एमएसएमई योजना दस्तकारों को प्रोत्साहित कर रही है तो वेंडरों/ठेलेवालों को मिल रहे आर्थिक सहयोग और मुफ्त राशन वितरण अल्पसंख्यक समाज की भी ग़रीबी, बेरोजगारी और मुफलिसी पर बुल्डोजर चला रहा है।
50-60 वर्ष के कांग्रेस शासन काल में सच्चर कमेटी ने मुस्लिम समाज की जो कमजोर स्थिति का कड़वा सच बताया था वो साबित करता है कि कठित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के शासनकाल में इस समाज का उत्थान नहीं हुआ। भाजपा से डराने वाले विरोधी दल भले ही अपनी सत्ता के दौरान अल्पसंख्यकों का पिछड़ापन कम करने के बजाय बढ़ाते रहे पर भाजपा की सरकारें ने तुष्टिककण की बैसाखियां खींच लीं है तो शायद ये समाज मजबूती से मुख्यधारा से जुड़े।
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार परवेज़ अहमद कहते हैं कि सपा की सरकारों में हुए दंगों में सैकड़ों मुस्लिम मारे गए। कितने घर जले, दुकानें ख़ाक़ हुईं और कारोबार चौपट हुए। घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और मां-बाप का दवा-इलाज करने वाले जो नौजवान दंगों की भेंट चढ़ गए उनके परिजन कैसे जिन्दा है, ये जानने कभी मुलायम सिंह और अखिलेश यादव जैसे नेता क्या कभी उनके घर पंहुचे ? नहीं।
आतंकवादियों के मुकदमें वापस लेने और मुस्लिम अपराधियों/ माफियाओं को प्रोत्साहित कर सपा-बसपा सरकारों ने मुस्लिम कौम को बहुत नुक्सान पहुंचाया है। लखनऊ के एक स्कूल की प्रबंधक सीमा चतुर्वेदी बताती हैं कि उनके स्कूल में अपने बच्चों को सरकार की मदद से फ्री की पढ़ाई (आरटीआई) का लाभ लेने वालों में बहुसंख्यकों से अधिक अल्पसंख्यक समाज के लोग आगे हैं। मुस्लिम बच्चों के स्कूल में एडमीशन बढ़े हैं और पढ़ाई में सरकार की मदद की योजनाओं का लाभ लेने में अब मुस्लिम समाज अधिक जागरूक दिखाई दे रहा है।
उत्तर प्रदेश फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष अतहर सग़ीर तूरज ज़ैदी कहते हैं कि कांग्रेस, सपा और बसपा जैसे दलों ने निजी स्वार्थ के लिए दशकों तक मुसलमानों में भाजपा को लेकर डर और नफरत पैदा की थी। झूठ, डर और बहकावे की ये बर्फ अब तेजी से पिघल रही है। हमारी क़ौम के समझदार लोग भाजपा सरकारों के विकास कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा पर विश्वास करने लगे हैं। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई से क़ौम खुश होती है। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए, भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, अनियमितताओं के खिलाफ योगी सरकार की सख्त नीतियों के बुल्डोजर का डर मुस्लिम समाज के चंद अनुशासनहीन लोगों को भी अनुशासित कर रहा है। ग़लत रास्ते पर चलने वाले सही मार्ग अपना रहे हैं। मुसलमान संकीर्ण मानसिकता से मुक्त होकर शिक्षा, स्वरोजगार और तरक्की की राह पर अपना भविष्य उज्जवल बनाने की निकल पड़े हैं। गलत रास्ते का अंजाम ग़लत होता है। यदि इस अहसास से कोई डरता है तो ये डर अच्छा है और ऐसे डर का अहसास कराने वाले वाला भी अच्छा है। इस तरह के डर के बारे में ही कहा गया है- “डर के आगे जीत है”।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एंव राजनीतिक विश्लेषक हैं)