लखनऊः यूपी में चार हज़ार उर्दू टीचर्स भर्तियों का मामला एक बार फिर उठना शुरु हो गया है। अब पीस पार्टी ने यूपी सरकार ने मांग की है कि उर्दू टीचर्स की इन भर्तियों को ज़मीन पर उतारा जाए और जिन चार हज़ार उर्दू टीचर्स को अभी तक वेतन नहीं दिया गया उन्हें पहले दिन के हिसाब से वेतन दिया जाए। बता दें कि सपा सरकार ने 15 दिसंबर, 2016 को प्राथमिक विद्यालयों के लिए 16,460 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती निकाली थी। इनमें चार हजार पद उर्दू सहायक अध्यापकों के लिए रखे गए थे। इन भर्तियों के पूरा होने से पहले ही सूबे में सरकार बदल गई।
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भर्तियों की समीक्षा की बात कहते हुए इस पर रोक लगा दी। भर्ती निरस्त होने के बाद उम्मीदवार मई 2017 में योगी जी के जनता दरबार पहुंचे थे और उनसे मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई थी। इसके बाद उम्मीदवारों ने जुलाई 2017 में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से मुलाकात करके उनको भी अपनी व्यथा सुनाई। उर्दू टीचर्स केन्द्रीय राजनाथ सिंह, और केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी से भी मुलाक़ात कर अपनी व्यथा सुना चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
हम 4000 उर्दू भर्ती मामले में न्याय की मांग करते हैं पर साथियों आओ हम सब मिलकर आवाज उठाएं आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन करेंगे अगर न्याय नहीं मिला हमारे उर्दू शिक्षकों को@AshrafFem @WasimAkramTyagi#urdu4000bharti pic.twitter.com/AIoSOq5Me7
— Er shadab chouhan شاداب چوھان (@shadab_chouhan1) September 8, 2020
अब इस मामले में पीस पार्टी ने यूपी सरकार से मांग की है कि इन भर्तियों को बहाल किया जाए, और उर्दू टीचर्स को वेतन दिया जाए। पीस पार्टी प्रवक्ता शादाब चौहान ने एक वीडियो जारी करके कहा कि हम 4000 उर्दू भर्ती मामले में न्याय की मांग करते हैं पर साथियों आओ हम सब मिलकर आवाज उठाएं आने वाले दिनों में अगर उर्दू टीचर्स को न्याय नहीं मिला तो हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि एक तरफ बेरोजगारी दर हर दिन बढ़ती जा रही है, कोरोना की वजह से किये गए लॉकडाउन ने लोगों का काम धंधा चौपट किया है, दूसरी ओर सरकार ने चार हज़ार उर्दू टीचर्स को घर बैठा दिया है। ऐसे में उनके घरों के चूल्हे कैसे जलेंगे।