लखनऊः हाथरस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए केरल के एक पत्रकार, दो PFI सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति पर राजद्रोह और यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। मंगलवार को मथुरा की स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन चारो को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान मलप्पुरम के सिद्दीकी कप्पन, मुजफ्फरनगर के अतीक-उर रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम के रूप में की है। इस पर पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शादाब चौहान ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार द्वारा इस मामले में मुख्य आरोपियों को बचाने की यह नई साजिश है।
शादाब चौहान द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि यूपी सरकार पीएफआई का नाम लेकर एक समुदाय विशेष को आतंकित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि चारों समाजिक कार्यकर्ताओं पर यूएपीए लगाना सरकार की नाकामी को छिपाने से ज्यादा कुछ नहीं है। उन लोगों पर यूएपीए लगना चाहिए जिन्होंने महिला पत्रकारों से बदसलूकी की, जिन्होंने विपक्ष के नेताओं पर लाठियां बरसवाईं, उन्हीं लोगों का नार्को टेस्ट कराना चाहिए।
पीस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि पीड़ित परिवार को बदनाम करने की कोशिश की जा रहीं, प्रशासन द्वारा उनके मोबाईल फोन तक छीनने की कोशिश की गई है। अब सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिये धार्मिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। शादाब ने कहा कि अगर मॉरिशस या किसी ओर देश से हमारे देश में माहौल ख़राब करने के लिये पैसा आ रहा है तो केन्द्र सरकार ने आज तक उन देशों के राजदूतों को तलब क्यों नहीं किया। उन देशों से हमारे राजनायिक संबंध क्यों हैं। जो हमारे देश में माहौल खराब करना चाहते हैं हमें उनसे कोई संबंध नहीं रखना नहीं चाहिए। इसका मतलब यह है कि सरकार झूठ बोल रही है।
शादाब चौहान ने कहा कि हर बार इस तरह के मुद्दे पर पीएफआई को आगे करके दिया जाता है। अगर इसी पीएफआई इतना ही खूंखार संगठन है तो इस संगठ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता। सरकार के अटॉर्नी जनरल ने आज तक इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया। उन्होंने कहा कि हाथरस की लड़ाई न्याय की लड़ाई है, उसमें किसी एक धर्म को टार्गेट करना सरकार की सांप्रदायिक नीति को दर्शाता है।