सुंदरम कुमार
आज 21 जून है, मतलब आज योग दिवस है। भारतीयों जितना इसके बारे में कोई दूसरे देश के लोग नही समझ सकते है। भारत मे योग का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ इसी देश के धरती पर ही योग के महान् ज्ञाता“ पतंजलि ”जी का जन्म हुआ था। सिर्फ पतंजलि ही नही उनके अलावा बहुत से और योग गुरुओ का जन्म भारत की सरजमी पर हुई थी । अब वो तो जीवित नहीं है लेकिन उन्होंने जो योग के फायदे बताये थे ,योग करने के तरीके बताए थे, वो काफी लाभदायक हैं हर एक व्यक्ति के लिए। योग तभी लाभदायक है जब इसे ढंग से किया जाए। इसके अनेको अनेक फायदे है।
सवाल ये उठता है कि क्या योग के नजरिये से वर्तमान समय अनुकूल है? वर्तमान में लोग सोचते है इसमें हम इतना समय क्यों बर्बाद करे इतना समय हम मोबाइल चला सकते हैं या कुछ और कार्य कर सकते हैं। स्कूलों में योग का नहीं करवाया जाना एक बड़ा कारण है । अगर सभी स्कूली बच्चों को बचपन से ही योग का अभ्यास कराया जाए तो वो स्वस्थ भी रहेंगे और उनकी एकाग्रता भी बढ़ जाएगी और साथ ही साथ उनको योग करने की आदत भी बनी रहेगी। बिहार राज्य के शेखपुरा जिले के एक स्कूल में योग के स्तर के बारे में मैंने जानने की कोशिश की। जब हमने पूछा तो वो बोले कि“ योग सिर्फ 21 जून को ही कराया जाता है इस दिन के अलावा किसी दिन हम लोगो को योग नही करवाया जाता है।” इससे पता चलता है कि सरकार सिर्फ बोलती है कि सभी स्कूलों में बच्चों को हर रोज 30 मिनट योग कराया जाएगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसमे सिर्फ सरकार की ही लापरवाही नहीं है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही तो हर स्कूल के के प्रधानाध्यापक की भी होती है। अगर हर स्कूल के प्रधानाध्यापक सजग रहें तो सभी स्कूलों में योग कराया जा सकता है ।
योग को धर्म के नजरिए से देखना कितना हद तक सही है?
ऐसे देखा जाए तो योग किसी भी धर्म से जुड़ा है ही नही । हाँ कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ कर देखते है ,जो कि आपत्तिजनक है। योग को तो हमलोगों को अपने दिनचर्या में रखना चाहिए। अगर भारत की बात करे तो यहाँ के कुछ नए योग गुरु जो है वो योग को धर्म से जोड़ते है। उनके सोच के कारण ही भारत के अल्पसंख्यक योग से कतराते हैं। योग को धर्म से जोड़ना बन्द करना चाहिए।
योग का एक बाजार भी खड़ा हो गया है और इसका सबसे जीवंत उदाहरण पतंजलि ब्रांड के रूप में बाबा रामदेव के उत्पाद हैं। यह कहा जा सकता है कि योग के व्यवसायिक लाभ के रूप में बाबा रामदेव दुनिया के सबसे चर्चित व्यक्ति बन गए हैं। उन्होंने योग के माध्यम से न सिर्फ एक उद्योग खड़ा किया बल्कि स्वदेशी और योग के सम्मिश्रण से उन्होंने बाजार में मार्केटिंग के जरिए एक अलग पहचान बनाई। ये अलग बात है कि स्तर नहीं होने की वजह से उनका ब्रांड जल्द ही संदिग्ध हो गया।
योग पर जिम का प्रभाव बहुत ही गहरा है । वर्तमान नवयुवक समुदाय पर जिम का जोश चढ़ा है। उनको लगता है कि जिम ही फायदेमंद है ना कि योग जबकि इनको ये पता ही है की जिम से बहुत थकान होti है ,उससे एकाग्रता घटती है । अगर वो योग करेंगे तो उन्हें उनकी एकाग्रता की क्षमता में वृद्धि होगी और उनको थकान होने के बजाए बहुत ऊर्जा मिलेगी । इससे वो हमेशा ऊर्जावान रहेंगे ।
(लेखक हरदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विवि, जयपुर में पत्रकारिता के छात्र हैं)