नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने भारत के सदाबहार दोस्त रूस पर दबाव बनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि भारत को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन पर हमला रोकने के लिए दबाव बनाया जाना चाहिए। आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य आक्रमण को तुरंत रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने को लेकर सरकार से अन्य देशों से हाथ मिलाने की अपील की।
पुतिन पर दबाव बनाए दुनिया
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक ने भारत के परंपरागत मित्र रूस की जगह यूक्रेन का समर्थन करते हुए कहा है कि रूस पर हमला रोकने का दबाव बनाया जाना चाहिए। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक ने अपने एक संदेश में कहा, ‘भारत सहित दुनिया के सभी देशों की सरकारों, राजनीतिज्ञों, राजनयिकों, रक्षा विशेषज्ञों, नागरिक समाज के लोगों को साथ आना चाहिए और बातचीत का रास्ता अपनाकर युद्ध को तत्काल रोकने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन पर दबाव बनाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘भारत शांति चाहता है। ऐसी कोई स्थिति नहीं बननी चाहिए जो युद्ध को बढ़ावा देती हो। युद्ध की विभीषिका काफी भयावह, दर्दनाक और असहनीय होती है।’
शांति की अपील
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि युद्ध से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलता है, बल्कि इससे मानवता को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने वैश्विक नेताओं, राजनयिकों और नागरिक समाज के लोगों से समस्या का बातचीत के जरिये समाधान निकालने के लिए पुतिन को मनाने की अपील की। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच और राष्ट्रीय क्रिश्चियन मंच के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम और ईसाई समुदाय के नेताओं से अपील की कि वे रूस को शांति, सौहार्द और भाइचारे का मार्ग अपनाने का सुझाव दें।
मोदी पुतिन वार्ता
ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन पर रूस के हमले से पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की थी। प्रधानमंत्री ने तत्काल हिंसा रोकने की अपील करते हुए सभी पक्षों से कूटनीतिक बातचीत और संवाद की राह पर लौटने के ठोस प्रयास करने का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के दौरान ‘अपने इस दीर्घकालिक दृढ़ विश्वास’ को दोहराया था कि रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) समूह के बीच मतभेदों को सिर्फ ‘ईमानदार और गंभीर वार्ता’ से ही सुलझाया जा सकता है।